Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ हो गया। इसका कारण क्या था ? कारण यही कि, वह रणभूमिमें जानेके पूर्व अपना ब्रह्मचर्य खंडन कर चुकाया । लंकाके युद्ध में जब यह प्रश्न उपस्थित हुआ था कि,-" मेघनाद को मारनेमें कौन समर्थ होगा ? " तब रामचंद्रनीने कहा था कि, 'जिसने १२ वर्ष तक बराबर ब्रह्मचर्य पाला होगा, जिसने अपवित्र विचार भी नहीं किया होगा, वही मेघनादको मारनेमें समर्थ होगा। इसका सुयश लक्ष्मणजीको मिला था। उन्होंने १२ वर्ष तक अखंड ब्रह्मचर्यका पालन किया था। उन्होंने कभी अपवित्र विचार भी नहीं किया था । लक्ष्मणनीकी पवित्रताके लिए ज्यादा क्या कहें ? जिस समय रामचंद्रनी सीताकी खोजमें व्याकुल होकर जंगलोंमें फिरते थे, उस समय सुग्रीवद्वारा मिले हुए आभूषणोंको दिखाकर श्रीरामचंद्रनीने लक्ष्मणसे पूछाः"भाई लक्ष्मण ! देखो तो सही, ये आभूषण सीताके ही हैं न?" तब लक्ष्मणजीने कहा था कि:"भूषणं नैव जानामि नैव जानामि कुंडले । नूपुराण्येव जानामि नित्यं पादाभिवंदनात्" ॥ १ ॥ _' हे नाथ ! मैं इन कुंडलादिक भूषणोंको नहीं पहिचानता, मैं हमेशा उनके चरण कमलोंमें अभिवंदन-नमस्कार करता था इस लिए केवल इन नूपुरोंको ही पहिचानता हूँ। ये सीताजीके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108