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वेश्यागमन परस्त्रीगमन वगैरह निंद्य कार्य करते हैं । इसका कारण भी उनकी विषयांधता ही है । ऐसी विषयांधताके कारण उनकी पड़ी हुई कुटेवोंसे जो खराबियाँ होती हैं वे किसीसे छिपी हुई नही हैं । इसलिए उसके बारमें विशेष कुछ न कहकर हम एक खास बातकी तरफ पाठकोंका ध्यान खींचना आवश्यक समझते हैं। वह यह है कि, इस विषयांधता और पुत्रप्राप्तिकी इच्छाके कारण ही कई लोग विधवाविवाहका प्रचार करने के लिए तैयार हुए हैं । परन्तु वस्तुतः विधवाविवाहसे कितनी खराबियाँ होती हैं, इस बातको वे समझ ही नहीं सके हैं । विधवाविवाहसे खराबी। ___सबसे पहिले तो विधवाविवाहके प्रचारसे संसारमें व्यभिचार-व्यभिचार ही नहीं, दुराचार भी-बढ़ता है । स्त्री पति मरजानेके बाद अपने छोटे छोटे बच्चोंको छोड़कर चली जाती है पति मरा न हो और जीता हो, मगर उसमें किसी प्रकारका दोष होतो वह उसे किसी न किसी प्रकार मार डालनेमें या उसे छोड़ दूसरेको कर लेने में आगा पीछा नहीं करती है। फिर दुसरेके साथ नहीं बनता है, तो उसे भी मारकर तीसरा करलेती है । कारण,-जिस पतिप्रेम-पतिमक्तिका उसके हृदयमें रहना
आवश्यक है, वह उसमें नहीं रहता है । उसका परिणाम यह होता है कि, वह स्वच्छंद वर्ताव करने लगती है। ऐसे अनर्थ क्यों होते हैं ? विधवाविवाहकी छूट मिलनेसे और विषयलोलुपता
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