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भी वे कामान्ध बन, बहुत ज्यादा विषयमें तल्लीन हो जाते हैं । वे न अपने शरीरका ध्यान रखते हैं न लोकनिंदाका डर रखते हैं और न वे अपनी शक्तिके नष्ट होनेका ही विचार करते हैं । समाचारपत्रोंमें प्रायः हम पढ़ते हैं कि, अमुक ब्याह करनेके पश्चात् एक महीनेमें ही मरगया और अमुक पंद्रह दिनमें ही मरगया । इसका कारण क्या ? इसका खास कारण तो यही है, जिसे हम ऊपर बता चुके हैं। यानी वही विषयासक्ति । बहुतसे मनुष्य तो ब्याह करके यही समझते हैं कि, यह लौंडी-दासी केवल विषयसेवनके लिये ही लाई गई है। इसका परिणाम यह होता है कि, थोड़े ही दिनोंमें वे संसारयात्राका अंत कर चल बसते हैं । इसको हम कामपुरुषार्थकी साधना करना नहीं करेंगे । ब्याह करनेके बाद भी ब्रह्मचर्य पालने की आवश्यकता ।
मनुष्योंको यह खूब अच्छी तरहसे याद रखना चाहिए कि, ब्याह करनेके पश्चात् भी उनके सिरपर ब्रह्मचर्य पालनेकी उतनी ही जिम्मेवरी है, जितनी कि, ब्याह करनेके पहिले थी, बल्के हम तो यह कहेंगे कि, पहिलेकी अवस्थासे भी बढ़कर जिम्मेवरी व्याह करनेके पश्चात् होती है।
ब्याह करनेके पहिले वीर्यका संरक्षण करना जैसे ब्रह्मचर्य है, वैसे ही ब्याहके बाद वीर्यका अतियोग या मिथ्यायोग न होनेदेना मी ब्रह्मचर्य ही है। इस ब्रह्मचर्य की रक्षा करनेका कार्य पहिले ब्रह्मर्यकी अपेक्षा कठिन है । विषयवासनाके कारण
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