Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 75
________________ मुकर्रर कर लेना चाहिए । कहते हैं कि, ऋतुकाल व्यतीत हो जानेके पश्चात्-१६ रात्रिके बाद स्त्रीका गर्भाशय बंद हो जाता है। उसके बाद गर्भाधानके हेतुसे संयोग करना निरर्थक है । ध्यानमें रखना चाहिए कि, उपर्युक्त १६ रात्रिमें भी स्त्रीको जितने दिन तक रक्तस्राव जारी रहे उतने दिन भूल कर भी संयोग नहीं करना चाहिए । उपर्युक्त १६ रात्रियोंमें भी अमुकअमुक रात्रियाँ खास तरहसे वर्च्य हैं । इन सब बातोंका मनुष्यको खयाल रखना चाहिए। ___वस्तुस्थिति देखनेसे मालूम होता है कि, प्रत्येक विवाहित मनुष्यको कमसे कम एक साथ १८ महीनेतक ब्रह्मचर्य पालनेका प्रसंग तो अवश्यमेव मिलता है। अतः इतने समय तक उसे जरूर ब्रह्मचर्य पालना चाहिए। शास्त्रकारोंका यह कथन है, और वह शरीरशास्त्रके निय. मानुसार सर्वथा सत्य है कि, स्त्रीको जिस दिनसे गर्भ रहे उसी दिनसे पुरुषको स्त्रीके पास नहीं जाना चाहिए । यह नियम उस समय तक पालना चाहिए जब तक कि, बालक जन्मकर दूध पीना छोड़कर खुराक खाने लगजाता है । ऐसा होनेमें लगभग १८ महीने या उससे भी ज्यादा समय हो जाता है। इतने काल तक पुरुषको भूलकर भी स्त्रीके पास नहीं जाना चाहिए । बस इसका नाम ही-'ब्रह्मचर्य' है । स्त्री होते हुए भी पुत्रोत्पत्ति करते हुए भी-इस नियमको पालनेवाला गृहस्थ ब्रह्मचारी कहलाता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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