Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 49
________________ करली है ऐसे सौ जवान यदि इकठे करोगे और जाँच करोगे तो उनमेंसे ऐसे बहुत कम मिलेंगे जिनकी रीढ टेढी न होगी; जिनकी छाती चौड़ी और जिनका मुँह भरा होगा; जो मजबूत भुजदंडवाले होंगे और बतखके जैसी जिनकी गरदन पतली न होगी; और तो क्या मगर सौमेंसे पाँच भी ऐसे नहीं मिलेंगे। ___ वर्तमान कालमें हजारमेंसे सौ तो क्या परन्तु पाँच लड़के भी जो कि विद्यार्थी अवस्थामें हैं, ऐसे नहीं निकलेंगे कि जिनका मुख तेजस्वी और प्रफुल्ल हो; जिनके नेत्र चमकते हुए और आबदार हों जो हरिणकी तरह चपलतासे दौड़नेवाले हों; जिनके शरीर सींगके सदृश पुष्ट और सर्वांग सुंदर हों; और कभी सिर दुखनेकी दुर्बलताकी और स्मरणशक्तिकी कमजोरीकी चिल्लाहट नहीं करते हों । और यह बात भी सच है, कि वर्तमानमें लड़कोंकी और युवकोंकी हालत ऐसी खराब हो रही है कि जिसको हम दयाजनक हालत बता सकते हैं। क्या उनको पेटभर खाना नहीं मिलता ? क्या उनको खाने के लिए दूध दहीं आदि पौष्टिक पदार्थ नहीं मिलते ? अथवा वर्तमानकी शिक्षामें ही ऐसे दोष हैं ! कि जिनसे विद्यार्थियों के शरीरमें ऐसे अनिष्ट रोग उत्पन्न होजाते हैं ? हमें इस बातकी खोज करना अति आवश्यक है । ___हमारी दृष्टि से-समझसे उपर्युक्त बताए हुए सब कारण व्यर्थ हैं । प्रत्येक मनुष्य सदा अपनी शक्तिके अनुसार भोजन करता Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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