Book Title: Bramhacharya Digdarshan
Author(s): Vijaydharmsuri, Lilavat
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 50
________________ है। खुराक लेता है । इस लिए हम यह बात तो नहीं मान सकते कि खुराक न मिलनेके कारण वे सब अनर्थकर्ता उत्पन्न होते हैं। अगर कुछ समयके लिये गरीबों के लिये यह बात मान भी लें तो भी अच्छे अच्छे मालदार गृहस्थोंके लड़कोंके लिए यह बात कैसे मान सकते हैं। क्योंकि वे बहुत बढ़िया खुराक खाते हैं। रोज केशरिया दूध पीते हैं, बादामका हलवा खाते हैं और अन्य भी कई तरहके अच्छे अच्छे माल मलीदे उड़ाते हैं । ऐसा होने पर भी हम यही देखते हैं कि पैसेदारोंके लड़के ही सबसे ज्यादा रोगके ग्रास बने हुए हैं । गरीबोंके लड़के यद्यपि सूखी रूखी रोटी खाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं, तो भी वे दिन दूने और रात चौगुने बढ़ते ही जाते हैं । इस लिए हम यह नहीं कह सकते कि अशक्ति उत्पन्न होनेका कारण कीमती खुगक की कमी है। अगर हम यह समझें कि शिक्षा की अपूर्णता विद्यार्थियोंके शरीर में रोग उत्पन्न करती है तो वह समझ सर्वथा झूठी है । हाँ यह बात अवश्य है, कि उससे विद्यार्थीके भविज्यका जीवन आर्थिक सफलतामें उत्तीर्ण नहीं होता, वह आर्थिक स्थितिसे अपना जीवन सुखमय नहीं बना सकता । परन्तु रोग उत्पन्न करने या शरीरको निर्बल बनानेका सामर्थ्य उस विद्यामेंशिक्षामें नहीं है, तो फिर पहाड़को चूर करनेवाली जवानीमें मनुष्य ऐसे दुर्बल और रोगी क्यों हो गये हैं ? इन सबका कारण बाल्यावस्थाकी पड़ी हुई खराब आदत है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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