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अपनी नहीं गिनी जा सकती है । अर्थात् स्त्रीने परपुरुषसे और पुरुषने परस्त्रीसे पैदा की हुई संतति उसकी नहीं गिनी जाती है। साध्वी स्त्रियोंके लिए अन्य पुरुषके पास जानेका किसी जगह उपदेश नहीं दिया गया है । १६२ _____ अपने दुर्बल पतिको छोड़ जो स्त्री सबल पुरुषका सेवन करती है, वह इस लोकमें निंदाके पात्र बनती है । अर्थात् " लोगोंमें ऐसी बातें होती हैं कि अमुकने पति छोड़ दूसरा किया "। १६३ ___ अपने पतिको छोड़ अन्य पुरुषके पास जानेवाली स्त्री इस लोकमें निंदाकी पात्र बनती है और भवान्तरमें-दूसरे जन्ममें सियालिनी-शृगालिनी-बनती है तथा कुष्ठादि रोगोंसे पीडित होती है। १६४
जो स्त्री अपने पतिको नहीं छोड़ती है। मन, वचन और कायसे-शरीरसे उसकी आज्ञामें रहती है, वह अवश्यमेव स्वर्गलोकमें जाती है, विद्वान् उसीको साध्वी स्त्री कहते हैं । १६५ ___स्त्रियोंके योग्य शुद्ध आचरणसे चलनेवाली और मन, वचन, कायसे पवित्र रहनेवाली स्त्री, इस लोक में उत्तम कीर्तिको प्राप्त करती है, और परलोकमें-पतिलोकमें पतिके साथ स्वर्गमें जाती है । १६६
उपर्युक्त श्लोकोंके भावार्थसे हम यह तो भली प्रकार समझ सकते हैं कि, पुत्रकी इच्छासे ब्रह्मचर्यका नाश करना किसी तर.
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