________________
वीर-सेवा-मन्दिर के यशस्वी संरक्षक
वीर-सेवा-मन्दिर के यशस्वी संरक्षक बम्बई, के सुप्रमिद्ध उद्योगपति श्री माह श्रेयामप्रमाद जैन का जन्म नजीबाबाद (जिला बिजनौर) के प्रतिष्ठित जमीन्दार घराने मे ३ नवम्बर, १९०८ को हना था। साह जी बड़े उदारमना, दानवीर, राष्ट्रमेवी एव धर्मनिष्ठ है तथा समाज सेवा, नागरिक सेवा, शैक्षिक एवं माहित्यिक सेवा के प्रति समर्पित है।
मापने अल्पायु मे ही अपने परिवार के दायित्व को सम्भाल लिया था। प्रापको नजीबाबाद म्युनिमिपल्टी का उपाध्यक्ष एवं बिजनौर एजुकेशन समिति का अध्यक्ष चुना गया । इसके पश्चात् प्रापका जीवन क्रान्तिकारी प्रवृत्तियों की प्रार हो गया जिससे मापने देश की प्राजादी के लिए राष्ट्रीय प्रांदोलन मे सत्रिय भाग लिया।
सन् १९४३ मे प्रारको "भारत छोड़ो" माम्दोलन में भाग लेने के कारण गिरपतार कर लिया गया और लाहौर जेल में दो माह तक रखा गया।
उद्योग के क्षेत्र में प्रापको प्रशमनीय पोर सराहनीय सेवाग्रो के कारण प्रापका सदा उच्च स्थान रहा है जिमसे विगत वर्षों में प्राप देश को विभिन्न व्यावसायिक संस्थानो के अध्यक्ष रहे है । इनमे प्रमुख है : फेडरेशन ग्राफ इण्डियन चैम्बर्स आफ कामर्म एण्ड इण्डस्ट्रीज, नई दिल्ली; इण्डियन नेशनल कमेटी-इण्टरनेशनल चैम्बर्म प्राफ कामसं, ऐल्कली मैन्युफैक्चरर्स एसोसियेशन माफ इण्डिया, बम्बई; आर्थिक सहयोगार्थ ऐको-एशियन मार्ग
नाइजेशन । इसके साथ-साथ प्रापका क्षेत्र इतना व्यापक बनता गया कि श्री साह श्रेयास प्रसाद जैन प्राप इन्जीनियरिंग, वस्त्र, रबड़, पाटोमोबाइन, रासायनिक और विद्युत् मादि की वस्तुग्रो के निमाताप्रो की परिषद् के डाइरेक्टर हुए ।
प्रापका जैन ममदाय से मुविशिष्ट स्थान है जिससे पाप अनेको मामाजिक, धार्मिक और साहित्यिक संस्थाओं के सरक्षक है और माथ ही अनेको सगठनो के ट्रस्टी है। प्राप अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद् और भारत जंन महामण्डल के भी अध्यक्ष रहे। प्राप महावीर कल्याण केन्द्र, बम्बई के अध्यक्ष है जिसके माध्यम से प्रापने अकाल व बाढ़-पीडिनो के कार्यों में अभिरुचि लेकर पूर्ण सहयोग दिया।
प्रापको मेवानो के मम्मानस्वरूप प्रापको महाराष्ट्र सरकार ने स्पेशल एग्जीक्यूटिव मैजिस्टेट नियुक्त किया। भाप जस्टिम प्राफ पीस रहे तथा छह वर्ष तक मंसद् सदस्य रहे। साहू जी महाराष्ट्र के महानगर बम्बई के 'बम्बई हास्पिटल ट्रस्ट' के ट्रम्टो एव अध्यक्ष है।
प्रापने १६५७ में भारतीय प्रौद्योगिक प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य के रूप मे अमेरिका व रूस की यात्रा की . जिममे भारत के अन्य देशो के साथ व्यापार में वृद्धि हुई। मापने सितम्बर १६६७ व १६७० मे जापान-भारत प्रति. निधि मण्डल के सदस्य के रूप मे जापान यात्रा को ।
प्रापकी भारतीय धर्म दर्शन, इतिहास तथा सास्कृतिक विषयो के अध्ययन में भी प्रान्तरिक प्रभिरुचि है। भारतीय कला एवं पूगतत्व के क्षेत्र में भी प्रापने महत्वपूर्ण कार्य किया। भारतीय भाषाप्रो की शिरोमणि सस्था भारतीय ज्ञानपीठ के प्राप अध्यक्ष है। पाप भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के कोषाध्यक्ष तथा वैशाली प्राकृत, जैन धर्म वसा शोध संस्थान के अध्यक्ष हैं।
भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव के कार्यक्रमों को सफल बनाने से प्रापका बड़ा योगदान रहा है। ग्राप चागे सम्प्रदायों की प्रोर से गठिन "भगवान महावीर मेमोरियल समिति" के कार्याध्यक्ष है । पापको दिगम्बर जैन समाज को उत्कट प्राकांक्षा के अनुरूप, आपके कनिष्ठ भ्राता म्व० साह शान्ति प्रमाद जी द्वारा स्थापित, दिगम्बर जैन महाममिति के अध्यक्ष का, उनके निधन पर, दायित्व भार सौपा गया। 200