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महान् कर्मयोगी की बीवन-साधना
मौर लोक हितकारी ठोस कार्य सम्पन्न किए हैं। उन्हें (बिहार में) रिसर्च इंस्टिट्यूट पाफ प्राकृत जैनालोनी मौर देखते हुए ऐसा लगता है कि साह जी ने जैन सस्कृति को महिसा शोध संस्थान बिल्डिग के निर्माण के लिए पांच लाख
पचास हजार रुपये की राशि अनुदान स्वरूप दी गई। इस ऊंचा उठाने के लिए विविध संस्थापो का निर्माण और ।
सस्था का सच लन विहार सरकार की भोर से हो उनके संचालन के रूप मे भारी योगदान दिया है और अपनी उदारता एवं सौजन्य से उनकी संचालन व्यवस्था मे
इसी ट्रस्ट द्वारा देवगढ, गैरा, माहार, वानपुर, अभाव के कारण शिपिनता नही माने दी। उस समय
पचराई, द्रोणगिरि, अयोध्या, खजुराहो और चित्तौड़गढ़ जो भी सस्थाधिकारी उनके पास पहुंचा, वह कभी खाली
प्रादि स्थानों के मदिरों और तीर्थ स्थानों का जीणों हाथ नही लौटा। उन्होंने उनकी तत्काल अर्थपूर्ति की।
द्वार किया गया और देवगड़ मे समहालय की भी वे समाज के घामिक एवं सास्कृतिक उत्सवो पीर सामाजिक
स्थापना की गई। गोष्ठियो मे रस लेने लगे । वे कई सस्थानों के अध्यक्ष पोर
दो लाखक यो का अनुदान मंसूर विश्वविद्यालय को मंत्री चुने गए। समाज में उनकी महती प्रतिष्ठा बढी
प्राकृत परिशीलन पोठ की स्थापना के लिए प्रदान किया मौर उनके कृतित्व की महत्ता जैन समाज म छा गई। गया । स्वर्गीय डा. ए. एन. पाध्ये ने पीठ पर सबसे पहले उन्होने जैन तीर्थों की महती सेवा की और अपन ग्रास ग्रहण किया। व्यक्तित्व के अनुसार उनके ममुद्धार में अपना योगदान इनके अतिरिक्त, दो इण्टरमीडिएट कालेज दिया। उन्होंने तीर्थ क्षेत्र कमेटी का व्यवस्थित कराया। वे नजीबाबाद मे बोले गए और चनाये जाते हैं। समाज संगठन की अावश्यकता को भी महसूस करते थे। उनके द्वारा सम्थापित अन्य सस्थाए है : मूर्तिदेवी
जब मध्यप्रदेश मादि में प्राचीन जैन कलात्मक कन्या विद्यालय, नजीबाबाद, शान्ति प्रमाद न काजेज, मूतियो के तस्कर गिरोहो द्वारा पुरातात्त्विक बहुमूल्य सासाराम (बिहार) या रगागनी जैन बालिका विद्यालय, सामग्री विदेशो मे बेचकर अर्थाजन किया जान लगा तब डेहरी प्रोन-मोन, बिहार, अशोक कुमार जैन हाई स्कूल, इससे जैन समाज में क्षोभ बढ़ गया पोर समाज के दरीहाट (बिहार); राजेन्द्र छात्र भवन, कलकत्ता; गोविन्द धार्मिक पुरुषो और साहू जो को इससे बड़ा वेद और दुख बल्लभ पत छात्रभवन, कलकत्ता; श्री दिगम्बर जैन हमा । परिणामस्वरूप उसके सरक्षण का भी विचार किया विद्यालय, कलकत्ता; श्री दिगम्बर बालिका विद्यालय, गया। माहू जी ने इस सम्बन्ध मे यह नश्चय किया कि कलकत्ता; मा वाडी रिलीफ सोसायटी हस्पताल, कलकत्ता इसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की जाय। प्रतएव अहिंसा प्रचार समिति, कलकत्ता; वीर सेवा मदिर, दिल्ली: उन्होंमे सन् १९५१ मे एक ट्रस्ट की स्थापना की, जिसका गणेश वर्णी संस्कृत महाविद्यालय, मागर, स्यावाद महाउद्देश्य सास्कृतिक सस्थामो को प्रोत्साहन देना, प्राचीन विद्यालय बनारस । मन्दिरों और तीर्थों का जीणोद्वार करना, देश में सर्वा- भारतीय ज्ञानपीठ के अतिरिक्तपन्य दम्टो की भी उन्होने गीण सग्रहालय स्थापित करना प्रौर विद्याथियो को स्थापना की है। इनमें प्रमुख है साह जैन दृस्टोर साह प्रारम्भिक श्रेणी से लेकर विश्वविद्यालय के स्तर तक जैन चंरिटेबल सोसाइटी । भारतीय ज्ञानपीठ, एक महत्वपूर्ण शिक्षा कार्य मे प्राधिक सहयोग प्रदान करना है। साहित्य प्रकाशक सस्था है, जिसके द्वारः प्राकृत, संस्कृत
इस ट्रस्ट द्वारा पिछले कुछ वर्षों में देश के विभिन्न प्रजी, कन्नड़ प्रादि भाषामो मे विपुल साहित्य प्रकाशिक्षा केन्द्रो के ५६०० विद्यार्थियों को सत्रह लाख तेईस शित किया जा रहा है। इसमे अन्य कई प्रथमालाए हजार रुपये की सहायता दी गई और विदेशों में शिक्षा है जिनमे हिन्दी साहित्य प्रादि का प्रकाशन होता है। अंन करने वाले ७५ स्नातकों को दो लाख की सहायता इसकी सबसे बड़ी महत्ता विविध भाषामो की सर्वोत्कृष्ट राशि अतिरिक्त दी गई।
रचनामों पर प्रति वर्ष एक लाख रुपये का पुरस्कार वितरण इसी ट्रस्ट द्वारा महावीर की जन्म स्थली वैशाली मे है। अब तक १२ पुरस्कार दिये जा चुके है । माणिक बन्द