Book Title: Anekant 1978 Book 31 Ank 01 to 04
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 128
________________ दानवीर भावक शिरोमणि ४९ जर्मनी तथा अन्य यरोपीय देशों का भी प्रापने परिभ्रमण प्रथम समिति गठित की थी उममे प्राप देश के तरुण प्रौद्योकिया और अनुभवों के समावेश द्वारा साहू जैन उद्योगो गिक प्रतिनिधित्व रहे। को अधिकाधिक समृद्ध किया। साह सम्हन को भारतीय धर्म-दर्शन और इतिहास सचमुच जिम महजता के साथ उद्योग एवं व्यवसाय तथा सांस्कृतिक विषयों के अध्ययन मे भी पान्तरिक के क्षेत्र में साह जी ने सफलता प्राप्त की, वह उनकी स्वा. अभिरुचि थी। भारतीय कला एव पुरातत्व के क्षेत्र मे भावगत प्रतिभा और बूझबूझ, मंगठन-क्षमता तथा प्रध्यव भी वे सर्वाधिक चर्चा किया करते थे । धार्मिक श्रद्धा में साय और सहनशीलता की सम्मिलित देन है। पिछले लग- वह अडिग थे। भारतीय भाषामों एवं साहित्य के विकासभग 45 वर्षों में प्रापने विभिन्न प्रकार और प्रकृति के उन्नयन की दिशा में प्रापका अति विशिष्ट यागदान उद्योग-धन्धों को एक सुविस्तृत श्रेणी की स्थापना एवं रहा । पापके द्वारा सन् 1944 में भारतीय ज्ञानपीठ की मंचालना करके देश के प्रौद्योगिक विकास में योगदान संस्थापना एवं अपनी सहमिणी स्वर्गीया श्रीमती रमा किया व अनेक उद्योगो का नेतृत्व किया । इस श्रेणी के जैन के साथ उसकी कार्य-प्रवृतिया, विशेषकर उसके द्वारा अन्तर्गन जहा एक प्रोर कागज, चीनी, वनस्पति, सीमेंट, प्रवर्तित भारतीय भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ सृजनात्मक एसबेम्टस प्रोडक्टम, पाट निर्मित वस्तुएं, भारी रसायन, साहित्यिक कृति पर प्रति वर्ष एक लाख रुपये की पुरस्कार नाइट्रोजन ग्वाद, पावर प्रल्कोहल, प्लाइवुड, साइकिल । योजना की परिकल्पना और तब तक 11 पुरस्कारों के निर्माण, कोयले की खाने, लाइट रेलवे व इन्जीनियरग। निर्णयों को कार्यविधि मे अनवरत रुचि एवं मार्गदर्शन, वर्म पाते हैं, वहीं दूसरी ओर हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, उनकी दूरदगिता एवं क्षमता के बहु प्रशासित प्रमर प्रतीक गुज गती के दैनिक पत्र और सावधिक पत्रिका तथा महत्व हैं। ज्ञानपीठ के अतिरिक्त प्रापने साहू जैन ट्रम्ट, साहू पूर्ण सास्कृतिक, माहित्यिक शोध एवं प्रकाशन के कार्य भी जैन चैरिटेबल मोमायटी तथा अनेक शिक्षण संस्थानो पाते है। की भी स्थापना की। प्राप वैशाली प्राकृत जैन धर्म एवं विगत वर्षों में देश की विभिन्न व्यवसाय-संस्थानो के हिंसा शोध संस्थान, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन प्राप प्रध्यक्ष रहे है। इनमें प्रमुख है : फेडरेशन प्राफ तीर्थक्षेत्र कमेटी, बम्बई, अहिंसा प्रचार समिति, कलकत्ता, इण्डियन चेम्बर ग्राफ कामर्स, इण्डियन शुगर मिल्स एसो- अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद् एवं मारवाडी सिएशन, इण्डिया पेपर मिल्म एसोसिएशन, बिहार चेम्बर रिलीफ सोसायटी के अध्यक्ष रह चुके थे। ग्राफ काममं एवं इण्डस्ट्रीज, राजस्थान चेम्बर ग्राफ कामर्स भगवान महावीर के 2500 वें निर्वाण महोत्सव के एवं इण्डस्ट्रीज, इस्टर्न यू०पी० चेम्बर प्राफ कामर्स एड कार्यक्रमों को सफल बनाने में प्रापका सर्वाधिक योगदान इन्डस्ट्रीज । चार वर्ष तक लगातार प्राप पाल इण्डिया मार्ग रहा है। जैन समाज के चारो सम्प्रदायों की मोर से नाइजेशन प्राफ इण्डस्ट्रियल एम्प्लायर्स के भी अध्यक्ष रहे गठित भगवान महावीर 2500 वा निर्वाण महोत्सव और इसी अवधि में भारतीय श्रम व्यवसाय सम्बन्ध नियम महासमिति के पाप कार्याध्यक्ष थे। भारत के सम्पूर्ण बनते ममय प्रापने उद्योग-धन्धो का व्यावहारिक दृष्टिकोण दिगम्बर जैन समाज की भोर से गटित पाल इण्डिया उपस्थित किया। दिगम्बर भगवान महावीर 2500 वां निर्वाण महोत्सव अपनी विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्नता तथा व्यापक अनुभव सोसायटी एवं बंगाल प्रदेश क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष के के कारण साहूजी देश के उद्योग एव व्यवसाय वर्ग द्वाग रूप मे प्रापने देणव्यापी सास्कृतिक चेतना को जागत अनेक अवसरो पर सम्मानित किये गये। स्वर्गीय पं० किया । भारत सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय समिति मौर जवाहरलाल नेहरू ने देश की प्रौद्योगिक प्रगति की। बिहार तथा बंगाल की समितियो में भी प्रापन महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिकल्पना को कार्यान्वित करने के लिये जो (शेष पृष्ठ ५१ पर)

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