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प्राथमिक वारवेल बार के कार्यों को कराने मे अधिक धर्म-पुण्य मानते थे। नेमनाथ की बारात (उ० प्र०) पोर बूढी चंदेरी, गोलाइससे पुरखो के बनाये हुये प्राचीन मंदिर व प्राचीन कला कोट (म.प्र.) के मंदिरो से बराबर मूर्तियां व मूर्तियो सैकड़ों हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सके और प्राने के सिर काट काट कर चोर ले जाते रहे। वाली पीढी उनके दर्शन कर, ज्ञान प्राप्त कर जैन धर्म की
इस घटना की सूचना सन् 1958 मे मिली। तब भारतउन्नति करती हुई उसे ऊंचा उठा सकी। इसी प्रकार, श्री वर्ष की जैन समाज में सर्वत्र क्षोभ फैल गया और यह भी साह शांति प्रसाद जी जैन भी इन्ही विचारा के घाामक मालूम हुमा कि एक वर्ग कुछ वर्षों से इन क्षेत्रो मे प्राप्त भक्ति थे । वेदानी, समाज सेवक, सच्चे प्रेमी, गरीब जिन मतियो की मन्दर कला के कारण उनके सि परवर, उदार हृदय, सब मतों के प्रति प्रादरभावी धर्मात्मा काट कर विदेशियों को बेचकर अच्छी धनराशि प्राप्त कर थे । उन्हे अपने धन का मान न था। बल्कि ये मान रहा है और उसने इस कार्य को अपना व्यापार बना लिया हजारों की संख्या मे कर्मचारियो को प्रसन्न रखनेरा
है। सन् 1959 ई० मे अखिल भारतीय जैन कनवेन्शन की ध्यान रखते थे । साहू जी सुधारक विचारो के थे ! काढ गई जिसके द्वारा भारत, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरवादी न थे। वे भा० वर्ष० दि० जैन परिषद के हामी कारों से अनुरोध किया गया कि वे इन दुखद घटनामों को (सहयोगी) थे। बहुत-सी जैन संस्थानो के संरक्षक व रोके तथा अपराधियों को दण्ड दें। कनवेन्शन के सभापति अध्यक्ष थे। उन्होने नजीबाबाद में साह जैन कालेज,
उद्योगपति साहू शांति प्रसाद जी जैन ने इस घटना को मुति देवी सरस्वती इटर कालेज और "मूति देवी
देखते हुये उपरोक्त प्रातो के प्राचीन तीर्थक्षेत्रों के मंदिरों कन्या इंटर कालेज की स्थापना की, जिससे उनका नाम
के जीर्णोद्वार के कार्यों के वास्ते तीन लाख (3,00,000) अमर रहेगा। साहूजी भी महाराजा खारवेलकी भातिनवीन
रुपए की धनराशि देने की घोषणा की, तथा जैन पुरातत्व नवीन मंदिरो के निर्माण कराने की अपेक्षा प्राचीन दि०
कमेटी स्थापित की गई और यह निश्चय किया गया कि इस जैन तीर्थक्षेत्रो प्रादि के मदिरो के जीर्णोद्वार के कार्यों के
द्रव्य से श्री राजेन्द्र कुमार जैन की देखरेख में क्षेत्रों के वास्ते दान देने में अधिक धर्म व पुण्य मानते थे।
जीर्णोद्धार का कार्य कराया जाये तथा मूर्तियों की सुरक्षा अनेक व्यक्ति प्राचीन मदिरो के होते हये भी उसी का भी किया जाये। vaar, स्थानपर गजरथ को प्रथा को लेकर लाखो रुपया व्यय धाना). म०प्र० के प्राचीन तीर्थक्षेत्र के मंदिर में से एक करके नवीन-नवीन मंदिरों का निर्माण कराते रहते है लेकिन व्यक्ति रामगोपाल मुनार एक प्राचीन सुन्दर मूर्ति का म प्र. और उ०प्र० के प्राचीन क्षेत्रों मादि स्थानों में मैकडो सिर काटता ह प्रा पकड़ा गया। उसके साथ दूसरा पादमी प्राचीन जैन मदिर खंडित पडे है और हजारो की संख्या गोरधन भी था। दोनों को खनियाधाना की पुलिस ने मे प्राचीन मूर्तियाँ जगलो प्रादि स्थानों में बिखरी पडी है गिरफ्तार किया और चोरी का पता लगाने के वास्ते दोनो तथा बहुत से शिला लेख जमीन मे दबे पड़े है। उनकी अपराधियों को देहली लाई। रामगोपाल सुनार देहली मे सुरक्षा का वहाँ की जैन समाज को कुछ भी ध्यान नहीं धर्मपुरा मोहल्ला के एक मकान में रहता था। पुलिस ने माता। साहजी इन विचारो के नहीं थे। वह उसके मकान की तलाशी ली तो यह भी पता लगा कि तो प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार और प्राचीन मूर्तियों की रामगोपाल, शिवचरण बत्रा, सुन्दर नगर, नई देहली सुरक्षा कराने के पक्ष मे थे। इसका कारण इस प्रकार को मूर्तियां बेचता है । तब पुलिस ने शिवचरण बत्रा की है कि म०प्र० और उ० प्र० के कुछ प्राचीन दि० जैन सुन्दर नगर, नई देहली की फर्म पर छापा मारा। बत्रा तीर्थक्षेत्रो के मंदिरो पर पुरातत्व विभाग की ओर से की फर्म मे से पुलिस को कुछ मूर्तियां और कुछ मूर्तियो जो चौकीदार रहते थे उनका संतोषजनक इंतजाम के सिर कटे हुये मिले । पुलिस ने शिवचरण बत्रा को भी न होने के कारण वहाँ के प्राचीन दि० जैन तीर्थ क्षेत्रो के गिरफ्तार कर लिया। तीनों अपराधियों के खिलाफ प्रदामंदिरो से प्रति देवगढ़, दुधई, चाँदपुर, जहाजपुर' लतो में मुकदमा चालू कर दिया गया। साहूजी