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अक्टूबर १९६२ .tमासिक.
চনকাল
सत्साहित्य का निर्माण उन्हों व्यक्तियों द्वारा संभव है, जिन्होंने अपने जीवन को संयम और साधना से पवित्र कर लिया है।
सम्पादक-मण्डल डॉ० प्रा० ने० उपाध्ये श्री रतनलाल कटारिया डॉ. प्रेमसागर जैन श्री यशपाल जन
Patradai.
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समन्तभद्राश्रम (वीर सेवा मंदिर) का मुरवपत्र