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आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त-चक्रवर्ती की बिम्ब योजना
डा० नेमिचन्द्र शास्त्री, एम० ए०, पी-एच० डी०, पारा प्राचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त ग्रंथों के रचयिता के रूप में forms of human expression." अर्थात् साहित्य जीवन प्रसिद्ध हैं। इनके गोम्मटसार, त्रिलोकसार, लब्धिसार, और मानवीय व्यवहारों पर प्रकाश डालता है । अतएव पौर द्रव्यसंग्रह प्रादि सैद्धान्तिक ग्रंथ उपलब्ध हैं। इन ग्रंथों स्पष्ट है कि सैद्धांतिक ग्रन्थों में भी काव्य सौन्दर्य का पाया में जीव और कर्म की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तृत और जाना सम्भव है। सुन्दर निरूपण किया गया है । इन ग्रंथों की विशेषता यह काव्य और शास्त्रकार अपनी अनुभूति को बिम्बों के भी है कि सैद्धान्तिक ग्रन्थ होने पर भी इनमें काव्यात्मक माध्यम से ही पाठकों के समक्ष उपस्थित करते हैं । यह सौष्ठव पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। प्रस्तुत निबन्ध में सत्य है कि जितना स्पष्ट और स्वच्छ बिम्ब रहता है, अनुकाव्य-सौन्दर्य के स्पष्टीकरण के हेतु इनकी बिम्बयोजना भूति भी उतनी ही स्पष्ट और स्वच्छ होती है । पर विचार किया जायगा ।
___B. Day Lewis ने अपनी 'The Poetic Image' ___ मनीषियों का अभिमत है कि विशुद्ध रसात्मक काव्य पुस्तक में बिम्ब की परिभाषा देते हुए लिखा है-"The साहित्य के अतिरिक्त प्राचार, सिद्धांत, दर्शन और नीति- poetic image is a picture in words touched मूलक ग्रंथों में भी काव्य-सौन्दर्य यथेष्ट मात्रा में वर्तमान with some sensuous quality."'अर्थात् बिम्ब के शब्द है। जीवन और जगत् का विस्तार एवं रूपमाधुर्य की अनु- मित्र हैं, जो भावनाओं के स्पष्टीकरण हेतु या उन्हें मूर्तरूप भूति इस कोटि के साहित्य में कम नहीं है । लेखक अपनी प्रदान करने के लिए कवि या शास्त्रकार के मानस में भावनाओं और सिद्धान्तों के स्फोटन के निमित्त बिम्बों, मंकित होते हैं। काव्यात्मक भावनाओं की वास्तविक अभिकल्पनामों एवं अलंकारों की योजना करते हैं, जिससे व्यञ्जना बिम्बों द्वारा संभव है। सैद्धांतिक रचनाओं में भी काव्यात्मक चमत्कार उत्पन्न हो बिम्ब शब्द कवि की उन मानस प्रतिमाओं का पर्याय जाता है। इसी कारण पाश्चात्य विचारक वेन्सन सिमण्ड, है जो काव्यात्मक संवेदनों को स्पष्ट करने के लिए मूत्तिक गोथे, रस्किन और मैथ्यू आर्नल्ड ने धर्म और सदाचार को रूप में साकार होते हैं । कवि या शास्त्रकार अपनी अनुभूति काव्य का भावश्यक अंग माना है । स्कॉट जेम्स ने अपनी को पाठकों की अनुभूति बनाने के लिए बिम्ब विधान की "The making of Literature" नामक पुस्तक में बत- योजना करता है । वास्तविकता यह है कि जहाँ शब्द अर्थलाया है "The feeling of the beautiful accord- ग्रहण के अलावा और कुछ कहने में समर्थ हो, वहाँ शब्द ing to Ruskin, does not depend on the senses, बिम्ब बन जाता है । दूसरे शब्दों में यों कह सकते हैं कि nor on the intellect, but on the heart, and is विशेष प्रकार के अर्थवान शब्द ही बिम्ब हैं। due to the sense of reverence, gratitude and मनोवैज्ञानिकों ने विषयों की दृष्टि से बिम्बों का joyfulness that arises from recognition of the अध्ययन किया है । ऐसी वस्तु, जो विषयी में बार-बार एक handwork of God in the object of nature." ही प्रकार के मनोवेगों को जाग्रत करे, उसे उस भाव का मर्थात् रस्किन के अनुसार सौन्दर्यानुभूति इन्द्रियों और बुद्धि बिम्ब कहा है । प्रक्रिया यों है कि विषयी के मन में जबपर अवलम्बित न होकर हृदय पर माधारित रहती है। जब एक विशेष प्रकार का भाव उठेगा, तब-तब उसके इसकी उत्पत्ति कला के प्रति श्रद्धा कृतज्ञता और प्रसन्नता के सामने उससे तुल्यार्थता रखने वाली वैसी ही वस्तु हो कारण होती है। वेन्शन ने कहा है-"All literature जायगी । जैसे डरपोक व्यक्ति जब भी अन्धकार में जायगा answers to something in life, some habitual 1. The Poetic Image. p. 19,