Book Title: Anekant 1962 Book 15 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 323
________________ चन परिवारों के बैष्णव बनने सम्बन्धी वृत्तान्त २८५ श्री गुसाई जी ने एक ब्रजवासी को माज्ञा दीनी, जो या और बोले नाहीं। तब वाकी धनी उहाँ माया । तब वाने लरिकिनी को उठाय ल्यायो । तब मापुने वा 4 जल कही, जो कहा-है ? तब याने कही, जो मेरे पास मति छिरक्यो। तब वाकों चेत भयो। तब मापु माजा किए, माउ । मैं तो श्री गुसाई जी की सेवक होइ पाऊ । तब जो साकों जितनों रंग चढ़ावो तितनों रंग चढ़े। तव वा काहू के मन में पाई। तब वाने हजाई के श्री गुसाई जी लरिकिनी ने कही, जो-कृपानाथ । पापके बिना ऐसो और के मागे बिनती करी। तब श्री गुसाई जी वाहू को नाम कौन है, जो रंग चढ़ावे? तातें अब तो आप ही रंग सुनाए। तब घर माई के कही, जी-मो कों हू कृपा करि चढ़ावो तो भलो है। तब श्री गुसांई जी वाको वचन के श्री गुसाई जी ने नाम सुनायो । सेवक किया है। तातें सुनि बोहोत प्रसन्न भए । पाछे मापु कृपा करि वाकों अब तुम कहो सो मैं करूं। तब वा स्त्री ने कही जो यह नाम निवेदन करवाये। तब वा लरिकिनी ने कही, श्री घर खासा करो। तब वाने कही वैसे ही घर खासा कियो। कृपानाथ ! अब मोकों कहा प्राज्ञा है ? तब श्री गुसांई जी तब श्री ठाकुर उहां पधराए । सो मन्दिर की सेवा और कहे, जो-तू सेवा करेगी? तब वाने कही, जो-राज ! रसोई की सेवा सब स्त्री करे। पौर ऊपर की टहल जैसे प्राज्ञा होइगी तसे करूंगी। तब श्री गुसांई जी ने वाकी धनी करे। सो ऐसे ही सदा करें। कृपा करिक वाके माथे श्री ठाकुरजी पधराई दिए। और सेवा की रीति भांति सब बताइ दिए। तब उह ठाकुर सो उह सरावगी की बेटी श्री गुसांई जी को ऐसी जी को पधराई के अपने घर को गई। सो अपने घर परम कृपा-पात्र भगवदीय हती । तातें इनकी वार्ता कहाँ पर कोठा में जाइ बैठी। बाहर बुलावे तो आवे नाहीं। तांई कहिए। (२२६) राग विलावल सुमर सवा मन मातम राम, ॥टेक॥ स्वजन कुटुम्बी बन तूं पोषं तिनको होय सदैव गुलाम । सो तो हैं स्वारथ के साथी, मन्तकाल नहिं प्रावत काम ॥१॥ जिमि मरीचिका में मृग मटक, परत सो जब ग्रीषम प्रति घाम । तसे तू भवमाही भटक, परत न इक छिनह विसराम ॥२॥ करत न गलानि अब मोगन में, परत न वीतराग परिनाम । फिरि किमि नरकमाहि दुख सहसी, जहां सुसलेशन पाठों जाम ॥३॥ तात माकुलता प्रब तजि के पिर हंबंठो अपने पाम । भागचंद वसि शान मगर में, तजि रागाविक ठग सब ग्राम ॥४॥

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