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विषय-सूची
चित्र-परिचय विषय
मुख पृष्ठ का चित्र-सित्तन्नवासल (पदश्री वीर-जिन-शासन-स्तवन
१९५ १ कोट्ट, दक्षिण भारत) के जैन गुफा-मन्दिर का प्राचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती की बिम्ब योजना रंगीन भित्तिचित्र है। इसकी रचना 8वीं शती
-डा० नेमिचन्द्र जैन एम. ए. पी. एच. डी. १६६ १ में हई। सिद्धहेमचन्द्र शब्दानुशासन -श्री कालिकाप्रसाद कककककककककककककककककककककककककककका शुक्ल एम. ए. व्याकरणाचार्य २०६
सूचना बारडोली के जैन सन्त कुमुदचन्द्र-डा० कस्तूरचन्द्र
अनेकान्त के प्रेमी पाठकों से निवेदन है, कि उनके कासलीवाल एम. ए. पी. एच. डी. २१.१
पास अनेकांत की चारकिरणें भेजी जा चुकी हैं, यह पांचवी कार्तिकेय (कहानी)-श्री सत्याश्रय भारती २१६
किरण हैं । जिनका वार्षिक मूल्य अभी तक भी प्राप्त नहीं सीरा पहाड़ के प्राचीन जैन गुफा-मन्दिर
हुमा, उन्हें भनेकांत की आगामी किरण वी० पी० से भेजी -श्री नीरज जैन २२२
जावेगी। यदि किसी कारण से आप अनेकांत के ग्राहक गोधकण (१ तीन विलक्षण जिन बिम्ब, २ पतियानदाई) ई
ई नहीं बनना चाहते हों, तो तुरन्त ही सूचना देने की कृपा ३ भगवान महावीर ज्ञात पुत्रथे या नाग पुत्र ?
इकरें। ताकि अनेकांत कार्यालय को वी० पी० भेजने का -श्री बाबुछोटेलाल जैन २२४,
है व्यर्थ नुकसान न उठाना पड़े। दण्डनायक गंगराज -श्री पं० के० भुजबली शास्त्री २२५
व्यवस्थापक चर्चरी का प्राचीनतम उल्लेख - डा० दशरथ शर्मा २२८
'प्रनेकान्त' रसिक अनन्यमाल में एक सरावगी जैनी का विवरण
वीर सेवा मन्दिर २१ दरियागंज, दिल्ली। -श्री अगरचन्द नाहटा २२६६ प्राचीन पट अभिलेख -श्री गोपीलाल 'अमर'
एम. ए. २३११ राष्ट्रीय सुरक्षा में जैन समाज का योगदान २३४
१. अनेकान्त वीर सेवा-मन्दिर का ख्याति प्राप्त शोधगुर्वावली नन्दितट गच्छ -परमानन्द जैन २३५ १ पत्र है। जनसमाज को चाहिए कि वह विवाह, पर्व और जैन मूर्तिलेख नया मन्दिर धर्मपुरा
महोत्सवों आदि पर अच्छी सहायता प्रदान करे।। -सं० परमानन्द जैन २३७१ २. पाँच सौ, दो सौ इक्यावन और एक सौ एक प्रदान साहित्य-समीक्षा -डा०प्रेमसागर जैन २३६ कर संरक्षक, सहायक, और स्थायी सदस्य बनकर अनेकात १ की प्राथिक समस्या दूर कर उसे गौरवास्पद बनाएं।
-व्यवस्थापक सम्पादक-मण्डल डॉ० प्रा० ने० उपाध्ये
अनेकान्त का वार्षिक मूल्य छ: रुपया है। श्री रतनलाल कटारिया
प्रतः प्रेमी पाठकों से निवेदन है कि वे छह रुपया डॉ० प्रेमसागर जैन
ही मनीआर्डर से निम्न पते पर भेजें। श्री यशपाल जैन
मैनेजर अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिये सम्पादक मंडल
'अनेकान्त' वीर-सेवा-मंदिर उत्तरदायी नहीं है।
२१ दरियागंज,दिली
अनेकान्त की सहायता के मार्ग