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बारडोली में जैन सन्तकुमुवचन्द
गृह प्रांगनु बेल्या नहीं भावत, बोन भई विललात ।
१. रचनाएंविरही वारी, किवत गिरि-गिरि, लोकन तेन लजात ॥
१.पन क्रिया विनती सखी०॥४॥
२. प्रादिनाथ विवाहलो पोउ विन पलक कल नहीं जीउकू, न रचित रसिक गुबात । ३. नेमिनाथ द्वादशमासा कुमुवचन्द्र प्रभु सरस बरस कू, नयन चपल ललचात ॥ ४. नेमीश्वर हमची
सखी०॥॥ ५. पण्य रति गीत व्यक्तित्व
६. हिंदोला गीत
७. वणजारा गीत संत कुमुदचन्द्र संवत् १६५६ से १६८७ तक भट्टारक पद पर रहे। इतने लम्बे समय में इन्होंने देश में अनेक
८. दशलक्षण धर्मवत गीत
६. शील गीत स्थानों पर विहार किया और जन-साधरण को धर्म एवं अध्यात्म का पाठ पढ़ाया । ये अपने समय के असाधारण
१०. सप्तव्यसन गीत सन्त थे। उनकी गुजरात तथा राजस्थान में अच्छी प्रतिष्ठा
११. अठाई गीत थी। जैन साहित्य एवं सिद्धान्त का उन्हें अप्रतिम ज्ञान था।
१२. भरतेश्वर गीत वे संभवतः पाशु कवि भी थे, इसलिए श्रावकों एवं जन
१३. पार्श्वनाथ गीत साधारण को पद्य रूप में ही कभी-कभी उपदेश दिया करते
१४. अन्धोलडी गीत थे। इनके शिष्यों ने जो कुछ इनके जीवन एवं गतिविधियों
१५. आरती गीत के बारे में लिखा है, वह इनके अभूतपूर्व व्यक्तित्व की एक
१६. जन्म कल्याणक गीत
१७. चितामणि पार्श्वनाथ गीत झलक प्रस्तुत करता है।
१८. दीपावली गीत शिय परिवार
१६. नेमि जिन गीत वैसे तो गट्टारकों के बहुत से शिष्य हुआ करते थे। २०. चौबीस तीर्थकर देह प्रमाण चौपई जिनमें प्राचार्य, मुनि, ब्रह्मचारी, आर्यिका आदि भी होते २१. गौतम स्वामी चौपई थे । अभी जो रचनाएँ उपलब्ध हुई हैं, उनमें अभयचंद्र, २२. पाश्वनाथ की विनती ब्रह्मसागर, धर्मसागर, संयमसागर, जयसागर एवं गणेश २३. लोडण पार्श्वनाथ जी सागर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । ये सभी शिष्य हिन्दी २४. प्रादीश्वर विनती एवं संस्कृत के भारी विद्वान् थे और इनकी बहुत-सी रच
२५. मुनिसुव्रत गीत नाएं उपलब्ध हो चुकी हैं । अभयचन्द्र इनके पश्चात् भट्टा- २६. गीत रक बने । इनके एवं इनके शिष्य परिवार के विषय में
२७. जीवडा गीत आगे प्रकाश डाला जावेगा।
२८. भरत बाहुबलि छन्द कुमुदचन्द्र को अब तक २८ रचनाएँ एवं पद उपलब्ध इनके अतिरिक्त उनके रचे हुये ३१ पद और मिले हो चुके हैं उनके नाम निम्न प्रकार हैं ।
हैं । वे भी सरस और हृदयग्राही हैं।