________________
वीर सेवा मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन
(दशलक्षण पर्व तक सभी ग्रन्थ पौने मूल्य में) (१) पुरातन-जैनवाक्य-सूची--प्राकृत के प्राचीन ४६ मूल्य-ग्रन्थों की पद्यानुक्रमणी, जिसके साथ 6८ टीकादिग्रन्थ में
उद्धृत दूसरे पद्यों की भी अनुक्रमणी लगी हुई है। सब मिलाकर २५३५३ पद्य-वाक्यों की सूची। सम्पादक मुख्तार श्रीजुगलकिशोर जी की गवेषणापूर्ण महत्त्व की ७० पृष्ठ की प्रस्तावना से अलंकृत, डाक्टर कालीदास नाग, एम. ए. डी. लिट् के प्राक्कथन (Forewod) और डा. ए. एन. उपाध्ये एम. ए. डी. लिट् की भूमिका
(Introduction) मे भूषित है, शोध-खोज के विद्वानों के लिए अतीव उपयोगी, बड़ा साइज सजिल्द १५) (२) प्राप्त-परीक्षा-श्री विद्यानन्दाचार्य की स्वोपज सटीक अपूर्व कृति, प्राप्तों की परीक्षा द्वारा ईश्वर-विषय के
सुन्दर विवेचन को लिए हए, न्यायाचार्य पं० दरबारीलालजी के हिन्दी अनुवाद मे युक्त, सजिल्द । ८) (३) स्वयम्भूस्तोत्र-समन्तभद्रभारती का अपूर्व ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजी के हिन्दी अनुवाद, छन्दपरिचय,
समन्तभद्र-परिचय और भक्तियोग, ज्ञानयोग तथा कर्मयोग का विश्लेषण करती हुई महत्त्व की गवेषणापूर्ण
१०६ पृष्ठ की प्रस्तावना मे सुशोभित । (४) स्तुतिविद्या स्वामी ममन्तभद्र की अनोखी कृति, पापों मे जीतने की कला, सटीक, मानुवाद और श्रीजुगल
किशोर मुस्तार की महत्त्व की प्रस्तावनादि से अलकृत सुन्दर जिल्द-सहित । (५) अध्यात्मकमलमार्तण्ड-पचाध्यायीकार कवि गजमल्ल की सुन्दर आध्यात्मिक रचना, हिन्दी अनुवाद-महित और मुख्तार श्रीजुगलकिशोर की १८ पृष्ठ की विस्तृत प्रस्तावना मे भूषित।
. १॥) (६) युक्त्यनुशामन-तत्त्वज्ञान मे परिपूर्ण ममन्तभद्र की अमाधारण कृति, जिमका अभी तक हिन्दी अनुवाद नही
हुआ था । मुख्तार श्री के हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादि मे अलंकृत, सजिल्द । ... ११) (७) श्रीपुरपाश्वनाथम्तोत्र-प्राचार्य विद्यानन्द रचित, महत्त्व की स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित । ... ॥) (८) शासनचतुस्त्रिशिका-(तीर्थपरिचय) मुनि मदनकीतिकी १३वी शताब्दी की रचना, हिन्दी अनुवाद-महित) (8) समीचीन धर्मशास्त्र--स्वामी ममन्तभद्र का गृहस्थाचार-विषयक अत्युत्तम प्राचीन ग्रन्थ, मुख्यार श्रीजुगलकिशोर
जी के विवेचनात्मक हिन्दी भाष्य और गवेषणात्मक प्रस्तावना से युक्त, सजिल्द । ... ३) (१०) जनग्रंथ-प्रशस्ति सग्रह-संस्कृत और प्राकृत के १७१ अप्रकाशित ग्रंों की प्रशस्तियों का मगलाचरण महित
अपूर्व सग्रह, उपयोगी ११ परिशिष्टो और पं० परमानन्द शास्त्री की इतिहास-विषयक माहित्य परिचयात्मक
प्रस्तावना से अलंकृत, मजिल्द । (११) अनित्यभावना-पा० पद्मनन्दी की महत्त्व की रचना, मुख्तारथी के हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ महित ।) (१२) तत्त्वार्थसूत्र-(प्रभाचन्द्रीय)--मुख्तारश्री के हिन्दी अनुवाद तथा व्याख्या से युक्त । (१३) श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जनतीर्थ क्षेत्र । (१४) महावीर का सर्वोदय तीर्थ =), (१५) समन्तभद्र विचार-दीपिका =)। (१६) महावीर पूजा। ।) (१७) जैन ग्रंथ प्रशस्ति संग्रह भा० २ अपभ्रश के ११६ अप्रकाशित अर्थो की प्रगस्तियों का महत्वपूर्ण गग्रह इतिहास
७४ ग्रन्थकारों के परिचय और उनके परिशिष्टों सहित । सम्पादक पं० परमानन्द शास्त्री मूल्य मजिल्द १२) (१८) जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, पृष्ठ संख्या ७४० सजिल्द (वीर शासन संघ प्रकाशन ... ५) (१६) कसायपाहुड मुत-भून ग्रन्थ की रचना प्राज से दो हजार वपं पूर्व थी गुणधराचार्य ने की, जिस पर श्री
यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चुणिसूत्र लिखे। मम्पादक पं० हीरालाल जी सिद्धान्त शास्त्री, उपयोगी परिशिष्टों और हिन्दी अनुवाद के साथ बड़ी साईज के १००० से भी अधिक पृष्ठों में । पुष्ट कागज, और कपड़े की पक्की जिल्द ।
२०) (२०) Reality प्रा० पूज्यपाद की सर्वार्थ सिद्धि का अग्रेजी में अनुवाद बड़े आकार के ३०० पृष्ठ पक्की जिल्द मू० ६)
प्रकाशक-प्रेमचन्द, वीर मेवा मन्दिर के लिए नया हिन्दुस्तान प्रेम, दिल्ली में मुद्रित