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Feeeeeeeeeeeeeeeeeeeepe S वस्तुस्थिति यह है कि 'अहिंसा ' की तरह ही, अहिंसा के अंगभूत सत्य, क्षमा, ए दया, आदि में से प्रत्येक पर पृथक्-पृथक् एक-एक विश्वकोश तैयार हो सके- इतनी प्रचुर ए Sसामग्री शास्त्रों में भरी पड़ी है। इस सम्बन्ध में हमारी नीति मध्यममार्गी रही है। हमारा यह र प्रयास रहा है कि अहिंसा- केन्द्रित विवरणों को ही प्रमुखता दी जाए और उन्हीं उद्धरणों को र C विश्वकोश में स्थान दिया जाय जिनसे अहिंसा का उदात्त व महनीय स्वरूप रेखांकित हो रहा
हो। साथ ही अहिंसा व अहिंसात्मक आचरण के विविध घटकों- क्षमा, करुणा, दया, ले ए अनुकम्पा, जीवरक्षा, प्राणदान, अभयदान आदि का भी संक्षिप्त रूप से प्रतिपादन हो सके। Sकुछ स्थलों पर अपेक्षित टिप्पणी भी दी गई है, ताकि प्रतिपाद्य विषय-वस्तु की पृष्ठभूमि भी
ज्ञात हो सके। S यह संकलन कार्य कितना श्रम-साध्य है- इसे विद्वान स्वयं समझ सकते हैं। किन्तु जैन शासन-सूर्य, संघशास्ता, आचार्यकल्प परमपूज्य गुरुदेव श्नी रामकृष्ण जी महाराज र के शुभाशीर्वाद से यह कार्य अल्प समय में, सम्पन्न हो सका। इस कार्य में मेरे सहयोगी
संघीय मुनियों , विशेषकर मेरे प्रिय शिष्य-रत्न श्री अमित मुनि का अमूल्य सहयोग रहा है, रजिसके लिए उन्हें मेरा अनन्त आशीष है। S डा. दामोदर शास्त्री ने इस कृति में प्रमुख सहयोगी होकर, उसे सम्पादित करने का ए उत्तरदायित्व स्वीकार किया, इसके लिए वे भी साधुवाद के पात्र हैं। आशा है, 'वैदिक/
ब्राह्मण संस्कृति-खण्ड' के रूप में 'अहिंसा-विश्वकोश' का प्रस्तुत प्रथम भाग जैन दर्शन व र जैन संस्कृति के विज्ञ जनों, मनीषियों व चिन्तकों के लिए उपादेय सिद्ध होगा और भगवान र
महावीर के चरणों में मेरी एक विनम्र ‘श्रद्धाप्रसूनाञ्जलि' भी होगा।
- सुभद्र मुनि