Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 14
________________ S विश्वकोश के प्रस्तुत वैदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड में जिस महत्त्वपूर्ण वांग्मय को आधार बनाया गया है, उसके अन्तर्गत चयनित ग्रन्थ हैं-समस्त वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, ए सामवेद, अथर्ववेद), ब्राह्मण ग्रन्थ, उपनिषद, रामायण व महाभारत, गीता, विविध स्मृतियां (मनु स्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति आदि), धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र (चाणक्य नीति, शुक्रनीति र Sआदि), विविध पुराण (विष्णु पुराण, भागवत पुराण आदि), दार्शनिक सूत्र-ग्रन्थ आदि। अध्येताओं की सुविधा के लिए संगृहीत उद्धरणों का हिन्दी अनुवाद भी साथ में दिया जा ए रहा है। संक्षेप में भारतीय संस्कृति के अंगभूत (वैदिक/ब्राह्मण) संस्कृति में अहिंसा' के S सम्बन्ध में जो भी महत्त्वपूर्ण/ उपयोगी चिन्तन उपलब्ध है, उस वैचारिक चिन्तन की र अमूल्य धरोहर को एक जगह संगृहीत करने की भावना मेरे मन में उपजी, उसी को मूर्त | Sरूप देने का आंशिक प्रयास प्रस्तुत 'अहिंसा-विश्वकोश' के प्रथम खण्ड वैदिक/ब्राह्मण र संस्कृति खण्ड के रूप में सार्थक हुआ है। इस विश्वकोश के द्वितीय खण्ड (जैन संस्कृति) C में भी उक्त नीति के अनुरूप संकलन और उनका प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। 2 एक बात ‘अहिंसा-विश्वकोश' की प्रबन्धन-योजना नीति के सम्बन्ध में भी स्पष्ट र ए करना चाहता हूं। 'अहिंसा' एक व्यापक अवधारणा है। सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, C Sआदि सभी इस 'अहिंसा' में अनुस्यूत हैं। क्षमा, दया, करुणा, अनुकम्पा, मैत्री, सौहार्द, र परोपकार, अभयदान, समत्व-दृष्टि आदि भी अहिंसा-वृक्ष की ही शाखा-प्रशाखाएं हैं। यदि 'अहिंसा' को समझना है, तो इससे जुड़ी हुई उक्त सभी सद्भावनाओं का भी निरूपण र अपेक्षित होगा ही। इसी दृष्टि से 'अहिंसा' को 'परम धर्म' कहा गया है। शास्त्रकारों ने स्वयं ए स्वीकारा है कि जिस प्रकार एक हाथी के पांव में सभी प्राणियों के पांव समाहित हो जाते 5 हैं, उसी तरह 'अहिंसा' में सभी धर्म समाहित हैं। अब, यदि सभी शाखा-प्रशाखाओं के ए साथ मूल वृक्ष अहिंसा' का विश्वकोश तैयार किया जाय तो वह एक 'धर्म-विश्वकोश' का रूप ले लेगा। Caeeeeeeeeeeeeeeeeeennel IV

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