Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रे दो निरई, दो आऊँ, दो विस्सी दो बम्हा, दो विण्है, दो वसू, दो वरुणा, दो अया, दो विव॑द्धी, दो पुस्सा, दो असा दो जमा।
दा इंगालगा, दो वियालगा, दो लोहियक्खा, दा सणिञ्चरा, दो आहुणिया, दो पाहुणिया, दो कणा, दो कणगी, दो कणकणगा, दो कणगविताणगा, दो कणगसंताणगा, दो सोमो, दो सहिया, दो आसासणी, दो कजोवेंगा, दो कब्बडेंगा, दो अयकरेंगा, दो दुंदुभंगा, दो संखा, दो संखवंन्ना, दो संखवन्नाभा, दो कंसा, दो कंसवन्ना, दो कंसवन्नाभा, दो रुप्पी, दो रुप्पाभासा, दो गोली, दो णीलाभासा, दो भासा, दो भासरांसी, दो तिला, दो तिलपुप्फवण्णा, दो दगा,दो दगपंचवन्ना, दो कौका, दो कक्कंधा, दो इंदग्गीयौं, दो धूमकेॐ, दो हरी, दो पिंगला, दो बुंधा, दो सुका, दो बहसइ, दो रौंहू, दो अगैत्थी, दो माणवर्गी, दो काँसा, दो फाँसा, दो धुरा, दो पमुँहा, दो वियंडा, दो वि संधी, दो नियल्ला, दो पहल्लों, दो जडियाईलगा, दो अरुणा, दो अग्गिल्ला, दो कालँगा, दो महाँकालगा, दो सोस्थियाँ, दो सोवत्थिया, दो वद्धमाणेगा, (दो+ पूसमाणगा६१, दो अंकुसा ६२ ) दो पलंबी, दो निच्चालोमा, दो णिच्चुजोया,दो सयंपैभा, दो ओभासा, दो सेयंकरी, दो खेमरा, दो आभंकरा, दो पभंकरा, दो अपराजियों, दो अरया, दो असोगा, दो विगयसोगा, दो विमली, दो
+ इमे द्वे नामान्तररूपेणस्तः, अतो न गणनीये ।
શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૧