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बहुश्रुती, कर 'चम्पक'
सत्कार,
बड़ा बड़े स्थविरां री आसीस ही, सुरतरु शान्तिकुमार ! | २२||
चम्पक मोटो जगत मै, मां बण मातृ-ऋण स्यूं उऋण,
झट मां आवै याद, जद 'चम्पक' 'मातृ देवो
संघ-संघ
संघ - शक्ति
उघड़े संघ - शक्ति
पर, 'चम्पक'
निछरावल गुरु आण काम पड्यां कायम रहे, बो सिख शान्तिकुमार ! | २५ ||
प्राण उंवार,
'चम्पक' चौड़े चौक मैं, कहै शासण ही सुख-दुःख रो, साथी
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रो ही उपकार, सपूत शान्तिकुमार ! | २३॥
भव, ' सरवण
आयां करै डकार,
है,
समुपासना,
संघ री, शक्ति
तप-तेजस्विता, सिंहवाहिनी,
शान्तिकुमार ! ॥ २४ ॥
कर तर
बकार-बकार, शान्तिकुमार ! |२६||
अपरम्पार, शान्तिकुमार ! | २७॥
'चम्पक'
चक्राकार,
साधी शान्तिकुमार ! |२८||
शान्ति - सिखावणी
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