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सागै यात्री सात सौ, लोऱ्या गाड्या लेण । बावन कारां मोटरां, वोलेन्टर अति सेण ॥६॥
धर कुंचा धर मंजलां, दोडां दोनूं टेम । मन मै माजी मिलण री, क्षण-क्षण कुशलै खेम ॥१०॥
सदा समाधी मै सुखे, रहै निरुज तनुरत्न । 'चम्पक' चतुर चकोर चित, प्रतिपल करो प्रयत्न ॥११॥
१८२ आसीस
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