________________
संतां ! मैं रामायण इसलिए सीख रहा हूं
जद राम चरित्र मंडासी, गणिवर ढालां फरमासी। चम्पो भी कंठ मिलासी, मधरी तान, तान, तान। सोहन मुनि ! मत करो मसकरी,
संत सुजान जान जान । यह सुनते ही पूरा वातावरण मुखरित हो उठा।
२२८ आसीस
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org