Book Title: Aasis
Author(s): Champalalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

Previous | Next

Page 357
________________ ७२ सामाजिक एकता का रूप सालासर — जयपुर मूल सड़क से तीन किलोमीटर भीतर जूटवाड़ा कोल्ड स्टोरेज है । सुजानगढ़ का सेठिया परिवार, सर्व-सम्पन्नता के साथ शालीन, सामाजिक भावनाओं से ओत-प्रोत, आस्थाशील और धर्मानुरागी रहा है । सेठिया रूपचंदजी तो अपनी कोटि के एक ही श्रावक थे । उनका त्याग, वैराग्य, विनय, विवेक और व्यवहार जीवित आदर्श था । उनके परिवार में धार्मिक लगन कोई आश्चर्य जैसा नहीं है । विमलजी की मां (धर्मपत्नी तनसुखलालजी सेठिया), कोठारी जुगराजजी चूरू तथा श्री सायर कोठारी का अत्यन्त आग्रह था । आचार्यप्रवर का एक दिवसीय प्रवास उनके यहां हो । श्री भाईजी महाराज उनकी ओर से वकालत कर रहे थे । भला, जिस काम को भाईजी महाराज हाथ में ले लें उसे तो पूरा होना ही था । ससंघ आचार्यप्रवर झूठवाड़ा पधारे। संघ के आगमन पर हर्ष-विभोर सेठिया परिवार फूला नहीं समा रहा था । आचार्यश्री के दर्शनार्थ आए बिरादरी के भाईयों की आव-भगत चित चाव से हुई । भोजन-व्यवस्था के साथ-साथ तीनों समय नाश्ता - चाय और यथेच्छ ठंडा पेय भी दिया । तो झूठबाड़ा जयपुर का ही एक उपनगर है । पर जहां हम कोल्ड स्टोरेज में ठहरे हैं यह बस्ती के अंतिम छोर पर है । स्थान बहुत सुरम्य है । यहां से आगे केवल खुला मैदान है । कल फिर हमें सालासर सड़क चौराहे तक पुनः जाना पड़ेगा । सड़क बहुत खराब है । कहना तो यों चाहिए सड़क केवल नाम मात्र के लिए है । केवल कंकरीट, वह भी ऊबड़-खाबड़ । आने वाले जयपुर के नागरिकों तथा आगुन्तक यात्रियों के मनों में आज की आवभगत का बड़ा असर रहा। अब तक जो संघीय भाईचारे का अभाव अखरता रहा । दर्शनार्थी भाई-बहनों ने बार-बार यही चर्चा चलायी, भातृत्व भाव का संस्मरण ३२७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372