Book Title: Aasis Author(s): Champalalmuni Publisher: Adarsh Sahitya SanghPage 358
________________ विकास अपेक्षित है। आज हमें एक दिशा-दर्शन मिला है। मुनिश्री । फरमाया 'भाई भाई रै घरै, आवै मोटे भाग । 'चम्पक' भगती-भाव स्यूं, बधै धर्म-अनुराग॥' ३२८ आसीस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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