Book Title: Aasis
Author(s): Champalalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 364
________________ कहां वे ? कहां हम? जयपुर नगर में आज महावीर जयन्ती की धूम-धाम है। प्रभात जागरिका गलीगली में घूम-घूमकर जयन्ती का उद्घोष कर रही है। भगवान महावीर का सन्देश स्थान-स्थान पर दुहराया जा रहा है । सामूहिक कार्यक्रम रामलीला मैदान में है। जैन समाज ने जयन्ती-यात्रा का आयोजन किया है । विविध वाद्यों, साजोंहायी-घोड़ों-रथों के साथ-साथ नानां झाकियां सजाई गयी हैं जिनमें भगवान महावीर के जीवन-वृत्त प्रदर्शित किये हैं । इस मील भर लम्बे भव्य जयन्ती-जुलूस में हजारों-हजारों जैन श्रावक सम्मिलित हुए हैं । सभी साम्प्रदायिक मतभेदों को भुलाकर लोग कंधे से कंधा मिलाकर एक जुट हो गये हैं। स्थान-स्थान पर स्वागत के विभिन्न आयोजन हैं। ठंडे पेय पदार्थों से आवभगत कर भाई-चारे को मूर्तरूप दिया जा रहा है। आचार्यश्री ठीक समय पर पंडाल में पधारे । अभी जयन्ती-जुलूस जवेरी बाजार में है। पूरे बापू बाजार को भगवान महावीर के संदेश-पट्टों से छा दिया है। घर-घर दुकान-दुकान पर पंचरंगे जैन-ध्वज लहरा रहे हैं। कार्यक्रम पंडाल में प्रारम्भ हो गया है। अभी शोभा-यात्रा का पिछला छोर जवेरी बाजार में है । पंडाल खचा-खच भर गया है। बैठने को स्थान नहीं है। चारों ओर की कनातें खोल दी गईं। फिर भी जनता धूप में खड़ी है । श्रमण भगवान महावीर को सभीभावभीनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए उत्सुक हैं। राजस्थान प्रांतीय महावीर २५वीं निर्वाण शताब्दी समिति की ओर से आज का आयोजन है। संयोजन संपतजी गधैया ने किया। कार्यक्रम खूब लम्बा हो गया है। १२ बजने को हैं । जब हम पंडाल से बाहर आये तब जमीन पैरों को सेकने लगी। सन्त धूप से बच-बचकर चल रहे थे और भाईजी महाराज ने फरमाया-कहां वे? कहां हम? ३३४ आसीस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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