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अपना वजन १८ सेर लगभग निकला। हमने दिन में दो घंटा लगाकर आवश्यकअनावश्यक पुस्तक पन्ने और कपड़ों-लत्तों को छांटा । पर उनका मन नहीं माना, एक-एक कर सांझ तक सभी उपकरण और पन्ने वापस ले गये। जब भाईजी महाराज के टोकने पर भी वे नहीं समझे, तो मुनिश्री ने फरमाया
'मांगीलाल मतंग ज्यूं चाल, फूसराज रा पूत। बिन मतलब ही खांधा तौड़ें, आ कुणासी आकृत ।।'
३०० आसीस
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