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हमारे साथी लड़के को कोई दूसरे मोहल्ले वाला पीट देता तो फिर उसका बदला भी पूरा मजा चखाकर लेते। हम अपने संगठन के लिए पूरे ईमानदार और वफादार थे।
'म्हे लड़-पड़ता शान मैं, पत्थर फेंक अजाण । अखी प्रमाण लिलाड मैं (औ) 'चम्पक' पड्यो निशाण ॥
२०४ आसीस
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