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मां हंस पड़ी । मेरी पीठ थपथपाते हुए मां ने कहा— बहुत अच्छा किया बेटा ! खिलाकर खाने वाला ही बड़ा होता है ।
भाजी महाराज ने एक पद्य कहकर उस स्मृति को ताजा किया -
'आपसरी में बांट कर खाणो सदा खुवा'र । हाल काम आवै सन्ता ! (ब) माजी रा संस्कार ॥'
१६६ आसीस
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