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पत्र-संख्या ६
सरदारशहर २०१६ फागण वदी ८
दोहा स्वस्ति श्री मातेश्वरी !, सुखपृच्छा साल्हाद । खिण-खिण आवै आपरी, म्हां सगलां नै याद ॥१॥
म्हे सगला सकुशल अठ, श्री गुरुदेव प्रसाद । शिघ्र मिलेला आपनै, गुरु-दर्शण रो स्वाद ॥२॥
सफल सुफल यात्रा करी, जावां माजी पास । म्हां सगलां रै चित्त मै, है अधिको उल्लास ।।३॥
चढ़यो शिखर गण आपणो, भारी बढ्यो विकास। जुग-जुग जावेला पढ्यो, (ओ) यात्रा रो इतिहास॥४॥ विजय हवै जावै जठ, बधै घणो सम्मान । पुण्यवान गुरुदेव रै, पग-पग प्रगट निधान ।।५।। संयम सफलो आपरो, वरते है शुभ-योग। आही म्हारी कामना, रहिज्यो सदा निरोग ॥६॥ सेवा मै जो साधव्यां, सुख-पृच्छा सविधान । माजी ज्यूं राजी रहै, सगला राख्या ध्यान ॥७॥
पुण्याई दिन-दिन बधो, माजी! वय रै साथ। 'चम्पक' अब मिलस्या जणां, करस्या सारी बात ।।८।।
पद्यात्मक पत्र १७३
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