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सोहन मुनि (चूरू) की स्मृति में
१५८ आसीस
दोहा
अड़ी-खंभ खूंटो खरो, गण रो खैरखवाह । टेक निभायी एक-सी, वाह ! सोहन मुनि वाह ॥ १ ॥
सेवा मुनि नगराज री, और छत्र रो त्याग । ari हाथां गया, (ओ) सोहन रो सोभाग || २ ||
थां सरिखो शासण भगत विरलो, कवि बे-जोड़ । पलक इशारे परखतो, मंत्री-मुनि री मोड़ || ३ ||
वाह रे वाह थांरो विनय, भक्ति मान-मनुहार । सोहन मुनि-सा समर्पित लाखां में दो चार ॥४॥
'चम्पक' चित्त चितारसी, जदकद ल्हसण - प्याज । सोहन ! सम्वत सात है, आंख्यां सामै आज || ५ ||
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