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दफ्तरी जयचन्दलालजी की याद में
दोहा
स्याणो शासण भक्त, हद हो हाथी हिम्मती। हमदर्दी हर वक्त, दुःखदर्दी को दफ्तरी ।।१।।
निस्संकिय निर्भीक, काम करावण कलकुशल । धीर-धुनी दाठीक, 'चम्पक' तेजस्वी चतुर ॥२॥
१६६ असीस
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