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पचक्खाण-निर्णय-विधि
रामायण-छन्द
एक कोटि इक भांगो रोकै, दोय कोटि स्यूं तीन रुकै, तीन कोटि मै सात रुकैला, चार कोटि मै नौ ठबकै । पांच कोटि मै तेरह गिणज्यो, छव मै रुकै भंग इकवीस, सात कोटि मै रुकै पचीसी, आठ कोटि रोके तेतीस । नव कोटि पचखाण करै तो, सगला भांगा रुक ज्यावै, करण-जोग रो लेखो भिन भिन, 'चम्पक' स्याणां समझावै ॥१॥
करण-जोग-कोटि भांगा रुके आंक ११-१२-१३ २१-२२-२३ ३१-३२-३३ १४१=१
१ x x x x x x x x १४२-२
२ १ x x x x x x x १४३=३
३ - ३ -१ XXX XXX २४१=४
४. ३. १ १ x
१ x
५ - ४ - १ २- १. x x x x २४३=६
६-६ - २ ३- ३-१ XXX ३४१७
७ - ६ - २ ५- ३-१ १xx ३४२-८
६-७ - २ ७- ५-१ २- १-X ३४३=8
६-६-३ ६-६-३ ३-३- १
२x२=५
१४० आसीस .
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