Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
View full book text
________________
Vaishali Institute Research Bulletin No."
भारतीय इतिहास के मध्यकाल में अनेक राजनीतिक तथा सामाजिक परिवर्तन हुए। अब वैदिक-पौराणिक धर्म ने एक नया रूप ग्रहण कर लिया। पशु बलि वाले यज्ञ तथा तत्संबंधी जटिल क्रियाकलाप प्रायः समाप्त कर दिये गये। वैदिक यज्ञों के स्थान पर अब नये स्मात्तं धर्म ने देश-काल के अनुरूप धर्म-दर्शन के नये आयाम स्थापित किये । जैन धर्म के अहिंसा तथा समता भाव ने इन आयामों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया।
वर्णाश्रम एवं संस्कार-व्यवस्था, प्रशासन, अर्थनीति आदि की तत्कालीन प्रणाली का जैन धर्म ने विरोध नहीं किया, अन्यथा अनेक सामाजिक जटिलताएं उपस्थित हो सकती थीं। जैन शासकों, व्यापारियों तथा अन्य जैन धर्मावलंबियों ने उन सभी कल्याणकारी परिवर्तनों को प्रेरणा दी तथा उनका निर्माण पूरा कराया जो राष्ट्रीय भावना के विकास में सहायक थे । भारत की व्यापक सार्वजनीन संस्कृति के निर्माण में जैन धर्म का निःसंदेह असाधारण योगदान है। यह इसी कारण संभव हो सका कि जैन मुनियों, आचार्यों, व्यावसायिक वर्गों आदि ने अत्यंत उदार भावना से कार्य किया। उन्होंने उन तत्वों को प्रोत्साहन दिया जो देश को एकता तथा धार्मिक सद्भावना के निर्माण में सहायक थे।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org