Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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यहां पाताल लोक का भयंकर रूप दृग्गोचर होता है । भुवन मण्डल
Vaishali Institute Research Bulletin No. 7
सुवेल के मध्य में समान रूप से बिना अन्तर के मिले हुए तीनों भूमण्डल त्रिविक्रम की स्थूल और उन्नत भुजाओं में तीन-वलय जैसे जान पड़ते हैं ।
मझकरालाइ जहि तिष्णि वि समअं णिरम्तरप हुत्ताड्रं । थोरुण्णए हरिभुए बलआइ व भुअणमण्डलाइ ठिआई ॥१४
यहां पर तीनों भूमण्डल का बिम्ब स्पष्टतया रूपायित हो रहा है । यमलोक १५/५६ का सुन्दर बिम्ब भी उपलब्ध है ।
(२) युद्ध से सम्बद्ध
युद्ध, अस्त्रशस्त्र, धनुष, बाण, आग्नेयास्त्र, कवच आदि का बिम्ब सेतुबन्ध के अनेक स्थलों पर प्राप्त होता है ।
सेना
अनेक स्थलों पर सेना का बिम्ब लक्षित होता है । द्वादश आश्वास में उभय सेनाओं का बिम्ब प्रतिलब्ध होता है । द्वादश आश्वास, गाथा ३२-४५ में वानर सैन्य तथा ४६-६७ तक राक्षस सैन्य का वर्णन मिलता है ।
कवच ( १२ / ५४-६२ ) बाण ( १४ / ९-१० ) शक्तिबाण ( १५ / ४६ ) नागपाश ( १४ / १७ - १८ ) ब्रह्मास्त्र ( १५ / ३७ आदि का बिम्ब मिलता है ।
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आश्वासों में विभिन्न प्रकार के युद्धों का वर्णन
मिलता है ।
त्रयोदश चतुर्दश एवं पंचदश
(३) प्रकाश वर्ग
इस संवर्ग में सूर्य प्रकाश, चन्द्र प्रकाश, ज्योत्स्ना, तारागणों का प्रकाश, दीपक, रत्न एवं मणिप्रकाश के बिम्बों को सम्मिलित किया गया है ।
प्रभा (१/२) ज्योत्स्ना ( १ / ७ ) किरण ( १ / ४० ) मणिप्रकाश ( ६ / ७२ ) रत्नच्छाया ( ९/३४, ४६ ) चन्द्रकान्तमणि ( ९/७६ ) चन्द्रकिरणें ( १० / ४६ ) सूर्य प्रकाश ( १३ / ५९ ) तथा दीपक का प्रकाश ( १० / २३ ) आदि के बिम्ब उपलब्ध हैं । (४) पेयद्रव्य
पेयद्रव्य में मदिरा का बिम्ब प्राप्त होता है । दो स्थानों पर मदिरा (८/५५ ), वारूणी ( १०/८० ) तथा एक स्थान पर मदिरापात्र ( १२ / १४ ) का बिम्ब मिलता है । मदिरा
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महरं व साअर सलिलम् ।
पहाड़ों से मथा जाता हुआ सागर का सुगन्धित जल ऐसा लग रहा है मानों मदिरा निकल रही है ।
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