Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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श्रमण संस्कृति के पुण्यप्रतीक : इन्द्रभूति गौतम
बन गया और उन्हें कहा कि इसका उतर श्रमण महावीर हो दे सकते हैं । गौतम जिज्ञासावश महावीर के पास पहुँचे, उसके पूर्व मानस्तम्भ के पास पहुँचते ही उनके ज्ञान का अहंकार बह गया और महावीर के सान्निध्य में पहुचते ही उन्हें इन्द्र के प्रश्न का उत्तर स्वतः ही
मिल गया ।
परम्पराओं में विविध प्रकार
यद्यपि गौतम गणधर के विषय में जैनधर्म की विभिन्न के कथानक उपलब्ध होते हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही है, इन्द्रभूति गौतम एवं भगवान् महावीर का साक्षात्कार करवाना | इस साक्षात्कार के बाद भगवान् महावीर ने यावद्जीवन जितने भो प्रवचन दिए, उन सबका विश्लेषण किया इन्द्रभूति गौतम ने । आज यदि इन्द्रभूति गौतम न होते तो सम्भवतः महावीर वाणी ही हमारे सम्मुख न होती । श्रमण-संस्कृति में ये दोनों युगपुरुष एक-दूसरे के सहयोगी पूरक कहे जा सकते हैं। भले ही गौतम द्वारा रचित कोई मौलिक रचनाएँ उपलब्ध न हों लेकिन यह सत्य है कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व को महावीर के जीवन-दर्शन के साथ इतना मिश्रित कर दिया कि उसकी उन्होंने कोई आवश्यकता ही न समझी। जैसा कि पूर्व में ही कहा जा चुका है कि यदि गौतम महावीर की वाणी का विश्लेषण न करते तो हमारे सामने उनका एक भी उपदेश वाक्य जीवित न होता । इसलिए उनको जैनसाहित्य में तीर्थंकर महावीर के प्रथम गणधर अर्थात् प्रथम शिष्य को उपाधि से विभूषित किया गया है । परवर्ती कालों में वे इन्द्रभूति के नाम से कम जाने जाते हैं, गौतम गणधर के नाम से अधिक । ।
यह आश्चर्य का विषय है कि इतने महान् ओजस्वी एवं प्रतिभा सम्पन्न महापुरुष के विषय में संस्कृत, प्राकृत एवं अन्य भाषाओं में विस्तृत जीवन-परिचय नहीं लिखा गया । जैनेतरों ने तो महावीर के शिष्यत्व स्वीकार करने के पश्चात् उन्हें सर्वथा भुला हो दिया । जैन लेखकों ने भी उनके विषय में बहुत कम लेखनी उठाई है । जो कुछ उपलब्ध भी होता है, वह नगण्य जैसा है । फिर भी उनके विषय में जो भी साहित्य उपलब्ध होता है उसका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है ।
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गौतम गणधर के विषय में उपलब्ध सामग्री का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है
(१) अर्द्धमागधी आगम साहित्य में वर्णित कुछ जीवन घटनाएँ,
(२) शौरसेनी आगम - साहित्य में वर्णित कुछ घटनाएँ,
(३) अपभ्रंश - साहित्य में वर्णित कुछ घटनाएँ,
(४) संस्कृत में उपलब्ध महाकाव्य-शैली में वर्णित गौतम चरित्र, (५) रासा शैली में वर्णित उपलब्ध कुछ खण्डकाव्य, एवं
(६) आधुनिक शैली में लिखित गौतम चरित्र ।
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