Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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सेतुबन्ध में बिम्ब-विधान
251 रइअरकेसरणिवहं सोहा अवलम्भवलहस्तपरिगमम् ।
महमहसणजोग्गं पिआमहुप्पतिपङ्कअं व णहमलम् ॥ शारदीय आकाश विष्णु की नाभि से निःसृत उस अपार विस्तृत कमल के समान सुशोभित हो रहा है जिसमें ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई है, सूर्य की किरणें ही जिसमें केसर है और सफेद बादलों के सहस्रों खण्ड दल है। यहां पर आकाश की अतिव्यापकता एवं शुभ्रता का प्रतिपादन प्रस्तुत बिम्ब के द्वारा किया गया है । इसके अतिरिक्त १/१८-३४ गाथाओं में शरद् का रमणीय वर्णन मिलता है। (1) काल (समय)
सेतुबन्ध से प्रातःकाल, सन्ध्यादि का सुन्दर बिम्ब भी उपलब्ध होता हैपातःकाल
हंसरलसमुहलं उग्धाडिज्जन्तवसविसावित्यारम् ।
ओसरिअतिमिरसलिलं जा पुलिणं व पाअडं दिअसमुहम् ॥२७ दशों दिशाओं में विस्तार वाला हंसों के कलरव से ध्वनित, एवं अन्धकार के हटने पर दिवस का प्रथम-प्रहर (प्रातःकाल), जलराशि रहित सागर-पुलिन के समान व्यक्त हो रहा है।
प्रस्तुत गाथा में प्रातःकाल का सुन्दर बिम्ब स्थापित हो रहा है। दिशाओं में परिज्याप्त एवं शुभ्र तथा हंसों के कलरव से दिवस का प्रथम प्रहर का बिम्ब अत्यन्त हृद्य है।
. आव्हा व दिवसमुहे उखामन्तुद्धमण्डलाउरतुरओ।२४ प्रातःकाल में सूर्य ऊध्वं गमनोत्सुक घोड़ों द्वारा मानो सुवेल पर्वत पर चढ़ रहे हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा है । प्रस्तुत गाथा में प्रातःकालीन सूर्य का बिम्ब अत्यन्त सुन्दर है।
___ सन्ध्या-दिनावसान ( संध्या ) में सूर्य अपने सम्पूर्ण मण्डलों को संकुचित करते हुए सुवेल पर्वत से उतरता हुआ-सा प्रतीत हो रहा है ।२७
इसमें सांध्य-बिम्ब स्पष्ट रूपायित हो रहा है । दिवस
अहिणवणियालोआ उसासारवीसमाणमललया।
जिम्माममज्जणसुहा बरबसुआअच्छवि वहन्ति व दिअहा ॥ स्निग्ध आलोक से पूर्ण, एकदेश में वर्षा होने से जललवों से युक्त, धुले हुए शरत्कालीन दिवस किश्चित् शुष्क शोभा को धारण करते हुए से प्रतीत हो रहे हैं।
प्रस्तुत गाथा में प्रकाशवान् कोमल शारदीय दिवस का चारु वर्णन किया है। प्रदोष
इस पहसिअकुमुअसरे भडिमुहपङ्कअविसद्धचन्दालोए।
जाए फुरन्ततारे लच्छिसअंगाहणवपोंसे सरए ॥३१ इस प्रकार तालाब में प्रहसित कुमुदों तथा शत्रु की स्त्रियों के मुखपंकज को म्लान करने वाले चन्द्रमा के आलोक से युक्त प्रदोषकाल में राम और अधिक क्षीण हुए ।
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