Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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सेतुबन्ध में बिम्ब-विधान
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(३) लता __ सेतुबन्ध के अनेक स्थलों पर सुन्दर एवं कोमल लताओं का बिम्ब परिलब्ध होता है।
___ रहसुम्मूलिअमहिहरभअविवलावणदेवआण लआणम् । वेगपूर्वक पर्वतों के उखाड़े जाने के भय से वनलतामण्डपों से वनदेवियां भाग गई हैं।
प्रस्तुत गाथांश में बनलता का बिम्ब रूपायित हो रहा है । भयवशात् वनदेवियों के भाग जाने से लताओं से बने मण्डप शून्य पड़े हैं, उनकी शोभा समाप्तप्राय हो गयी है । लता का बिम्ब ६/६२ तथा ७/२५ में भी प्राप्त होता है। (४) पुष्प कमल- रअणच्छविहुन्वन्तं वलन्तसेसपिहुलप्फणविहुवन्तम् ।
सपरिवड्डिअकमलं कडअलआलग्गसूररहअक्कमलम् ॥ सुवेल पर्वत के सरोवरों में रत्नों की प्रभा से घोए जाते हुए कमल खिले हुए हैं जो शेष के विशाल फण के नतोन्नत होने से कम्पित है तथा उनके मध्यप्रदेश में सूर्य-रथ की धूल पड़ी
उद्धत गाथा में रत्नों की छाया से खिले कमलों का रमणीय बिम्ब लक्षित हो रहा है। कमल सूर्य के किरणों के संयोग से ही खिलते हैं लेकिन सुवेल पर्वत पर रलों की आमा इतनी प्रखर है कि उससे भी कमल विकसित होकर सरोवरों को सुशोभित करते हैं।
___ अन्य स्थलों पर कमल (१/७, १/३०, १/५२), कमलदल (१०/१६) कुमुद (१०/५०) का बिम्ब मिलता है। (x) पशु-पक्षी जगत के बिम्ब
पशु-सेतुबन्ध में दो प्रकार के पशुओं-स्थलीय एवं जलीय का बिम्ब उपलब्ध होता है।
गन
पुट्टई गअउलं अणलिखक दरेण ।४४ उपरोक्त पंक्ति में भयाक्रांत हो बिना पानी पोये इधर-उधर भागते हुए हाथियों का बिम्ब रूपायित हो रहा है। पर्वतों के उखाड़े जाने के कारण पर्वतीय हाथी प्राणरक्षार्थ इधर-उधर भाग रहे है । अन्य स्थलों पर हाथी समूह ६/६१, कंदरा में हाथी ६/९२, भंवर में पड़ा गजयूथ ७/५०, वनगज ८/३६, ९/८० आदि के बिम्ब मिलते हैं। भंसा
अस्थाअन्ति सरोसा सलिलदरत्थमिअसेलसिहरावडिआ।
एक्कावतवलन्ता धुवआतम्ललोमणा वणमहिसा ॥ __किंचित् पानी में डूबते पर्वतशिखर से गिरकर भंवर में चक्कर खाते हुए अंगली भैसे क्रोध से लाल आँखों को इधर-उधर फेरते हुए डूब रहे हैं ।
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