Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
________________
जैन एवं बौद्ध शिक्षा के उद्देश्य तथा विषय
231. का वर्णन आया है जो निघंटु, कल्प, अक्षर भेद सहित तीनों वेद, इतिहास, काव्य, व्याकरण, कोकायतशाब और सामुद्रिक शास्त्र में निपुण था।' जैन ग्रन्थों में चार वेदों के अध्ययन का वर्णन है और बौद्ध ग्रन्थों में तीन वेदों का ।
यदि कलाओं की ओर दृष्टिपात किया जाये तो दोनों सम्प्रदायों की कला-संख्या में भिन्नता है । संख्या में यह जो भिन्नता है वह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि कलाओं का संबन्ध शिक्षण के साथ है और प्रायः एक का दूसरी में समावेश हो जाता है। मुख्य बात यह है कि दोनों ही सम्प्रदायों में कलाओं का चयन इस दूरदृष्टिता से किया गया है कि जीवन के सभी अंग उसमें समाहित हो जाते हैं ।
१. जातक कालीन भारतीय संस्कृति, मोहनलाल महतो 'वियोगी', पृ० ९८ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org