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बाईसवां अध्ययन : रथनेमीय
१. ‘शौर्यपुर’ (अर्थात्-द्वारका) नगर में, राजकीय लक्षणों (व गुणों)' से युक्त, 'वसुदेव' नाम का महान् ऋद्धि-सम्पन्न राजा (रहता)
था ।
२. रोहिणी व देवकी - (ये) दो उसकी भार्याएं थीं। उन दोनों के दो प्रिय पुत्र राम (बलदेव) तथा केशव (कृष्ण) थे ।
३. 'शौर्यपुर' नगर में राजकीय लक्षणों से युक्त तथा महान् ऋद्धिशाली ‘समुद्रविजय' नाम का (एक अन्य) राजा (भी) था । (वे वसुदेव के ज्येष्ठ भ्राता थे)
.४. उनकी 'शिवा' नाम की भार्या थी । उसके (ही) पुत्र - महायशस्वी, लोकनाथ, तथा इन्द्रियजयी व्यक्तियों में अग्रणी श्रेष्ठ भगवान् अरिष्टनेमि थे।
५. वे अरिष्टनेमि नाम के (भगवान्) औदार्य आदि लक्षणों से युक्त (प्रशस्त) सुस्वर वाले थे (स्वस्तिक आदि) एक हजार आठ शुभ लक्षणों' के धारक थे। उनका गोत्र गौतम था, और उनकी (शारीरिक) कान्ति श्याम वर्ण की थी ।
१. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, हाथ व पांव चक्र व स्वस्तिक आदि चिन्हों से तथा नीतिशास्त्र के अनुरूप धैर्य, शौर्य आदि गुणों से युक्त ।
अध्ययन- २२
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