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तथा आभ्यन्तर, दोनों स्तरों पर सजग सक्रियता सम्यक् तप है। तप कर्म-निर्जरा का विशेष साधन है। श्रद्धा से ज्ञान, ज्ञान से चारित्र, चारित्र से तप, तप से निर्जरा
और निर्जरा से मोक्ष-प्राप्ति के साधन प्राप्त होने के साथ-साथ मोक्ष-प्राप्ति भी होती है। इस प्रकार सम्यक् दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप मोक्ष प्राप्ति के साधन होने के साथ-साथ मोक्ष प्राप्ति की प्रक्रिया के चरण भी हैं। जिनेन्द्र प्रभु के पथ-प्रकाशक निर्देश भी हैं। मोक्ष-मार्ग-साधक की पहचान भी हैं।
चारों का वर्णन प्रस्तुत अध्ययन का प्रतिपाद्य है। मोक्ष तक पहुंचाने वाले साधनों की साधना से सम्बन्धित अनेक जिज्ञासाओं का शमन इस से होता है। ज्ञान कितने प्रकार का होता है? ज्ञान से क्या होता है? द्रव्य किसे कहते हैं? द्रव्य कितने प्रकार के होते हैं? द्रव्य, गुण और पर्याय में परस्पर क्या सम्बन्ध है? जीव क्या है? पुद्गल किसे कहते हैं? पर्याय का क्या आशय है? तत्व कितने हैं? सम्यक् दर्शन क्या है? सम्यक्त्व कितने प्रकार का होता है? उन सभी प्रकारों का क्या अभिप्राय है? सम्यक्त्व-प्राप्ति के उपाय कौन से हैं? सम्यक्त्वी की पहचान क्या है? सम्यक्त्व, ज्ञान, चारित्र और मोक्ष में परस्पर क्या सम्बन्ध है? सम्यक् चारित्र कितने प्रकार का होता है? सम्यक् तप के कितने भेद हैं? दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप से जीव क्या प्राप्त करता है? मोक्ष कैसे प्राप्त होता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत अध्ययन में मिलते हैं। इन सभी की दिशा जीवात्मा के लिए ऊर्ध्वगामी है।
-कर्म-भार से मुक्त होने की कला यहां बतलाई गई है। आत्म-उपलब्धि का विज्ञान यहां प्रतिपादित किया गया है। परम सार्थकता का दर्शन यहां विवेचित किया गया है। श्रमण-धर्म का मर्म यहां उजागर किया गया है। प्रकारान्तर से यह सर्वज्ञों द्वारा सर्वज्ञता प्राप्त करने का इतिहास है। रत्नत्रय-सम्पन्न आत्माओं द्वारा मुक्ति प्राप्त करने का भविष्य है। मुमुक्षु साधकों की सम्यक् साधना का वर्तमान है।
लक्ष्य तक वही पहुंचेगा, जो राह से परिचित होगा। राह की कठिनाइयों व चुनौतियों को अपनी सतत यात्रा से निरर्थक कर देने की क्षमता जिसमें होगी। मोक्ष-मार्ग की कठिनाइयों के साथ-साथ मोक्ष-मार्ग-पथिक में अपेक्षित क्षमताओं का भी सांगोपांग ज्ञान इस अध्ययन से मिलता है। श्रमणत्व का स्वरूप साकार करने तथा मोक्षमार्ग पर गतिशील होने की सशक्त प्रेरणा देने के कारण भी प्रस्तुत अध्ययन की स्वाध्याय मंगलमय है।
अध्ययन-२८