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६. 'चक्षुर्दर्शनावरणीय 'अचक्षुर्दर्शनावरणीय"५ ‘अवधिदर्शनावरणीय'१६,
व 'केवल दर्शनावरणीय'१७ (इन्हें तथा उपर्युक्त पांच निद्राओं को मिलाने पर) इस तरह 'दर्शनावरणीय' (कर्म) के नौ भेद जानने चाहिएं।
७. 'वेदनीय' (कर्म) दो प्रकार का कहा गया है- (१) साता (वेदनीय
कर्म), और (२) असाता (वेदनीय कर्म)। साता (वेदनीय कर्म) के तो अनेक भेद होते हैं, इसी तरह असाता (वेदनीय कर्म) के भी (अनेक भेद होते हैं)।
८. मोहनीय (कर्म) भी दो तरह का है- (१) दर्शन (मोहनीय), और
(२) चारित्र (मोहनीय)१८ । (इनमें) दर्शन (मोहनीय) के तीन, और चारित्र (मोहनीय) के दो प्रकार होते हैं ।
६. (१) सम्यक्त्व (मोहनीय),२० (२) मिथ्यात्व (मोहनीय),२१ (३)
सम्यग्मिथ्यात्व (मोहनीय)२२ - ये 'दर्शन मोहनीय' की तीन (उत्तर) प्रकृतियां (कही गई) हैं।
१०. 'चारित्र मोहनीय' कर्म के दो भेद बताए गए हैं- (१) कषाय
मोहनीय,२३ और (२) नोकषाय (मोहनीय)२४ ।
११. कषायज (मोहनीय) कर्म के तो सोलह भेद होते हैं,२५ और
नोकषाय (मोहनीय) कर्म के सात या नौ भेद होते हैं२६ ।
अध्ययन-३३
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