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Kurla
उस प्रसंग में गुरुदेव ने यह भी कहा था, "उत्तराध्ययन सूत्र के द्वारा किसी भी प्रश्न का समाधान और उत्तर पाया जा सकता है। शर्त सिर्फ यह है कि पूछने वाला श्रद्धानिष्ठ हो । गम्भीर हो । शास्त्र के साथ कोई किसी भी स्थिति में खिलवाड़ न करे, अन्यथा उसका अनिष्ट हो सकता है।"
इस प्रकार गुरुदेव योगिराज ने मुझे 'उत्तराध्ययन सूत्र' के विषय में एक नया ज्ञान प्रदान किया। पूर्ण आस्था के साथ इसका उपयोग किया जाये तो यह निश्चित रूप से फलित होता है। कोई भी श्रद्धालु इसका उपयोग कर अपनी समस्या या प्रश्न या शंका का समाधान पा सकता है। व्यक्ति को यदि स्वयं अपने विषय में जानना हो तो विधि के साथ किसी अबोध बालक के द्वारा अथवा किसी धर्मनिष्ठ व्यक्ति के द्वारा शान्त, सहज व श्रद्धा भाव से अध्ययन व गाथा पूछ कर उसका अर्थ पूर्ण विवेक का उपयोग करते हुए समझना चाहिये। वह अर्थ ही समाधान का संकेत होगा। यहां यह भी ज्ञातव्य है कि यदि उस गाथा में अनेक प्रकार के भाव हों तो उन में से अपने प्रश्न- सम्बन्धी भाव को ही ग्रहण करना चाहिये। भाव स्पष्ट न हो तो किसी स्वाध्याय-सम्पन्न व्यक्ति से पूछ लेना चाहिये। और अन्त में - यह सब कहने के पीछे भाव यह है, जिन-धर्मानुयायी को इतस्ततः मिथ्यात्व में फंस कर भटकना नहीं चाहिये। प्रभु वाणी पर ही अपनी श्रद्धा केन्द्रित रखनी चाहिये।
परिशिष्ट
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PARICHHITREL