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४२. “एक गीला और एक सूखा (ऐसे) दो मिट्टी के गोले (दीवार पर) फैंके जाएं तो दोनों दीवार पर लगते (तो) हैं (किन्तु) जो गीला होता है, वह वहीं (दीवार पर) चिपक जाता है (और सूखा गोला नहीं चिपकता)”।
४३. “इसी प्रकार जो कामभोग-लिप्सा वाले दुर्बुद्धि मनुष्य हैं, (वे ही विषयों में) चिपक (बंध) जाते हैं । (किन्तु) विरक्त (उसी तरह) नहीं चिपकते (बंधते) जैसे कि (दीवार पर फेंका गया मिट्टी का ) सूखा गोला । "
४४. इस प्रकार उस विजयघोष ने अनगार जयघोष (महामुनि) के पास अनुत्तर (लोकोत्तर व सर्वश्रेष्ठ) धर्म को सुनकर अभिनिष्क्रमण किया ( प्रव्रज्या ग्रहण की । )
४५. जयघोष तथा विजयघोष (दोनों मुनियों) ने संयम व तप के द्वारा पूर्व कर्मों का क्षय कर अनुत्तर (सर्वोत्कृष्ट) सिद्धि (मुक्ति) प्राप्त
की।
- ऐसा मैं कहता हूँ ।
अध्ययन- २५
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