________________ प्रस्तावना. ऐसे तजुर्बे बहुत हो चुके हैं तथा प्रत्येक तजुर्बा दूसरे तजुर्वे से बिलकुल भिन्न प्रकार का होने से उनमें सामान्यता भी पाई जाती है और इस तरह से उनमें भेद और सामान्यता के मौजूद होने पर ही उनकी तुलना हो सकती है। उन के भेद में रहे हुए सामान्यता के कारण और उनकी सामान्यता में रहे हुए भेद के कारण, तुलनात्मक पद्धतिसे अथवा तुलनात्मक धर्म विचार पद्धति द्वारा उनका अध्ययन करना आवश्यक है। इस पद्धतिको काम में लाने से, तुलना करने का उद्देश्य केवल संसार के भिन्न भिन्न धर्मों में रही सामान्यता का फैसला करना जो माना जावे तो इस में भय रहता है / परन्तु इस प्रकार मानना यह वैज्ञानिक उपयोग के लिए तुलनात्मक पद्धति से प्रगट होनेवाले भेद भी सामान्यता जैसे जरूरी और वैज्ञानिक दृष्टि से अधिक अमूल्य हैं, इस स्पष्ट बातको दृष्टि से दूर रखने के समान है। तुलनात्मक भाषा शास्त्र में भाषाओंकी तुलना करने में वैज्ञानिक दृष्टि से सामान्यता जितनी खास ज़रूरी मालूम होती है उतने ही ज़रूरी भेद गिने गए हैं। व्यवहार में तो प्रत्येक की अपनी भाषा और दूसरी भाषा में रहे हुए भेदसे वे एक दूसरे से भिन्न हैं यह बात आप समझ सकते हैं। जैसे दूसरी भाषा का ज्ञान आप अपनी भाषा द्वारा अच्छी तरह प्राप्त कर सकते हैं, वैसे ही आप अपनी भाषा में अधिक स्पष्टता से विचार कर सकते हैं, इस बात में जरा भी संशय