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२२ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १०-१२/अक्टूबर-दिसम्बर २००४ परिवर्तित होते रहे हैं। उपलब्ध कलाओं को संयुक्त करने पर उनकी संख्या १४० तक हो जाती है। इसी प्रकार, स्त्रियों की ६४ कलायें भी लगभग १४० हो जाती हैं।
९. रोगों की संख्या : आगमों में सामान्यत: १६ रोग बताये गये हैं पर उन्हें विभिन्न स्रोतों से संकलित करने पर ६४ हो जाते हैं। रोग तो सामान्यत: उल्लंधित आचार माने जाने चाहिये।
इन विवरणों में हमें भौतिक जगत् संबंधी मान्यताओं पर विचार नहीं कर रहे हैं। उनमें भी परिवर्तनों की संख्या पर्याप्त है।
उपरोक्त सैद्धांतिक और आचारगत परिवर्तन प्राय: शास्त्रीय हैं। मध्ययुग और नये युग में भी परिवर्तन की परम्परा वर्धमान रही है। यह अनेक शास्त्रीय एवं सामयिक समस्याओं के समाधान का प्रयत्न करती है। उदाहरणार्थ :
___ अ. लोकाशाह और तारणस्वामी ने श्वेतांबरों और दिगंबरों में शास्त्र-पूजक एवं मूर्तिपूजा विरोधी सम्प्रदायों की स्थापना की। इनका आधार शास्त्र के अतिरिक्त मंदिरदुर्व्यावस्था भी रहा है। ये पंथ आज पर्याप्त प्रगतिशील हैं।
ब. अमर मुनि जी ने साधुओं के लिये वाहन-प्रयोग, शस्त्र परिणत भक्ष्यता को पुनः प्रतिष्ठित किया। उन्होंने स्वचालित शौचालयों के उपयोग की भी स्वीकृति दी। (यद्यपि ये विषय आज भी विचार श्रेणी में हैं।) ___स. आचार्य तुलसी ने जैनधर्म के विश्वीय सम्प्रसारण के लिये समण-समणी की परम्परा स्थापित की जो गृहस्थ और साधु की कोटियों के मध्यवर्ती है। इसके सदस्य विदेश जाकर धर्म प्रचार भी अनेक वर्षों से कर रहे हैं। - द. आचार्य विद्यानंद ने जीवंत-स्वामीकी प्रतिमा की पूज्यता बताई और जैनों के हिंदूकरण का संकेत दिया।
य. अधिकांश पश्चिमी विचारक भारतीय धर्मों को नकारात्मक और निराशावादी कहते हैं। इस धारणा को निर्बल करने के लिये स्वामी सत्यभक्त ने धर्म की परिभाषा को नया रूप दिया है। उनके अनुसार, धर्म से संसार में सुख का संवर्धन होता है। दःख निवृत्ति तो परोक्ष फल है। वैसे भी धर्म की परिभाषा समय-समय पर बदलती रही है। प्रथम युग में, यह 'धम्म हि हितयं पयाणं' के रूप में प्रजामुखी थी, बाद में, यह 'जीवरक्षण' के रूप में आई और फिर 'आत्म-विशुद्धि साधन' के रूप में व्यक्तिनिष्ठ हो गई। पर अब यह 'क्षेमं सर्वप्रजानां' के रूप में प्रतिष्ठित हो रही है। सत्यभक्त के समान, महात्मा भगवानदीन ने भी श्रावकों की प्रतिमाओं को नया नाम और रूप देकर उन्हें सकारात्मक तथा समाजमुखी बनाने की प्रक्रिया बतायी है।
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