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हिन्दी अनुवाद :- और आप ऐसे अनेक गुणगण से युक्त भिल्लों के स्वामी हो यह बात मेरे दिल में, बड़ा आश्चर्य उत्पन्न करती है। गाहा :
असरिस-सोजन्न-जुया तुम्हे एयाए वसह पल्लीए । उत्तम-नरावि होउं साहह मह केण कज्जेण? ।।६४।।
छाया:
असदृश-सौजन्य-युक्ता त्वयि एतस्मिन् वसत पल्लयाम् ।
उत्तमनरोऽपि भूत्वा कथयत मां केन कार्येण ? ||६४|| अर्थ :- असाधारण सौजन्यथी युक्त उत्तम मानव थईने पण तमे आ पल्लीमां केम रही छो? ते मने कहो ? हिन्दी अनुवाद :- असाधारण सौजन्य से युक्त उत्तम मानव होकर भी आप इस पल्ली में क्यों वास करते हो? वह मुझसे कहो?
सुप्रतिष्ठ द्वारा वृत्तांत कथन गाहा :
तो भणइ सुपइट्ठो किं कहिएणं इमेण धणदेव ! । वंचणमवमाणं चिय मइ-जुत्तो नो पगासेज्जा ।।६५।।
छाया :
ततः भणति सुप्रतिष्ठः किं कथितेनानेन धनदेव !।
वञ्चनमपमानमेव मति-युक्तः न प्रकाशयेत् ||६५|| अर्थ :- त्यारे सुप्रतिष्ठ पल्लिपति कहे छे “हे धनदेव ! आ कहेवा वड़े शुं? बुद्धिशाली पोतानी ठगाइ तथा अपमानने जाहेर न करे - “प्रकट न करे". हिन्दी अनुवाद :- तब सुप्रतिष्ठ पल्लिपति ने कहा-'कि धनदेव ! यह कहने से क्या? बुद्धिशाली अपनी ठगाई तथा अपमान को जाहिर नहीं करता है। गाहा :
तहवि हु भणामि मा होउ तुज्झ अभत्थणा इमा विहला । एगग्ग - मणो होउं साहिज्जंतं निसामेहि ।।६६।।
६. छाया:
तथापि खलु भणामि मा भवतु तुभ्यमभ्यर्थना इयं विफला ।
एकाग्र - मनः भूत्वा कथयत निःशृणु ।।६६|| अर्थ :- तो पण कहुं छु-जेथी तमारी प्रार्थना निष्फल न जाय, एकाग्रमनवाळा थईने कहेता एवा मने सांभळो. हिन्दी अनुवाद :- फिर भी आपकी प्रार्थना निष्फल न हो इसीलिए कहता हूँ अतः आप ध्यान से मेरी बात को सुनिये -
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