Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 146
________________ गाहा : जा जीवइ एस पिया एयम्मि मयम्मि पुण जहा-जुत्तं । तइय च्चिय काहामो किं इण्हिं तीए चिंताए ? ॥२०१॥ छाया: यावत् जीवति एषः पिता एतस्मिन् मृते पुनः यथा-युक्तम् । तदा एव कथयिष्यामि किं इदानीं तया चिन्तया ? ||२०१।। अर्थ :- ज्यांसुधी आ पिता जीवे छे त्यां सुधी एकान्त स्थानमा रहुं ! पिता मृत्यु पामे छते जे करवा योग्य हशे ते करीश, अत्यारे ते चिन्तावड़े शुं ? हिन्दी अनुवाद :- जब तक पिताजी जीवित हैं तब तक एकान्त स्थान में ही रहूं। पिताजी की मृत्यु के बाद जो करना है सो करूंगा, अभी से चिन्ता क्या करना? सुप्रतिष्ठ द्वारा गृहत्याग-सिंहगुफा मां आगमन गाहा : एवं विणिच्छिय-मई कइवय- पिय - परियणेण परियरिओ। सामंत - मंति पुर - नायगेहिं रन्ना य अन्नाओ ॥२०२।। छाया: एवं विनिश्चित-मतिः कतिपय-पितृ-परिजनेन परिवृतः । सामन्त-मन्त्री-पुर-नायकैः राज्ञा च अज्ञातः ||२०२।। अर्थ :- आ प्रमाणे निश्चित करेली मतिवाळो पिताना केटलाक परिजन वड़े परिवरेलो सामन्त-मन्त्री-पुरनायक अने राजा वड़े अज्ञात..... हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार निश्चित मतिवाला मैं कितने ही परिजनों से आवृत, सामन्त-मन्त्री और राजा से अज्ञातगाहा : नीहरिओ तत्तो हं कमेण अह पाविउं इमं पल्लिं । सीहगुहं नामेण अच्छिउमेईए पारद्धं ॥२०३॥ छाया: निःसृतः ततोऽहं क्रमेण अथ प्राप्य इमां पल्लिं । सिंहगुफां नाम्ना आसितुमेतस्यां प्रारब्धम् ।।२०३।। अर्थ :- त्यांथी हुँ नीकल्यो अने नामवड़े आ सिंहगुफा पल्लिमां आव्यो अने अहीं रहेवामाटे प्रारंभ करायु. हिन्दी अनुवाद :- वहाँ से निकला हुआ मैं सिंह गुफा की पल्लि में आया और यहाँ रहने लगा। संग तेवो रंग गाहा : मिलिया मज्म अणेगे भिल्ला चोरा कुकम्म-निरया य । तेहिं परिवारिओ है संपइ पल्ली-वई जाओ ॥२०४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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