Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ छाया : एषोऽत्र समाप्यते विद्याधर • मोचन इति नाम्ना । सुरसुन्दरि-नाम्ना कथायाः द्वितीयः परिच्छेदः ।।२५०।। अर्थ :- अहीं आ “विद्याधर- मोचन" ए प्रमाणेना नाम बड़े सुरसुन्दरि नामनी कथानो द्वितीय (बीजो) परिच्छेद मारा बड़े समाप्त कराय छे. हिन्दी अनुवाद :- यह रचना मुनि धनेश्वर द्वारा की गई है। इधर इस "विद्याधर का मोचन" इस प्रकार के नाम से सुरसुन्दरी नाम की कथा का द्वितीय परिच्छेद मेरे द्वारा समाप्त हुआ। ।। द्वितीयः परिच्छेदः समाप्तः ।। 55 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162