Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 154
________________ हिन्दी अनुवाद :- उत्तर दिशा सन्मुख गाढ़ पत्र-वृक्ष से व्याप्त वन में एक गाऊ मात्र भूमि भाग में मैं घूमता था। गाहा :___ ताव य निसुओ सद्दो दूसह - गुरु - दुक्ख - सूयओ कलुणो । आगासे महिलाए सघग्धरं रोयमाणीए ॥२२९।। छाया: तावच्च निश्रुतः शब्दः दुःस्सह-गुरु-दुक्ख सूचकः करुणः । आकाशे महिलया सगद्गदं रुदन्त्या ।।२२९|| अर्थ :- तेटली वारमां दुःसह, अत्यंत दुःख सूचक करुण शब्द आकाशमां गद्गद् स्वरे रडती महिलानो सांभळ्यो. हिन्दी अनुवाद :- उतनी ही देर में दुःसह, अत्यंत दुःखसूचक आवाज आकाश में गद्गद् रोती महिला का स्वर सुनाई दिया। गाहा : हा! कह मम निमित्ते पिययम ! अतिगरुय-आवयं पत्तो ? । हा! अज्जउत्त! इण्हिं तह विरहे नत्थि मह जीयं ॥२३०॥ छाया: हा! कथं मम निमित्ते प्रियतम ! अतिगुरुक-आपदं प्राप्तः ? | हा ! आर्यपुत्र ! इदानीं तव विरहे नास्ति मम जीवितम् ।।२३०।। अर्थ :- "हा ! प्रियतम ! मारा कारणे तमे शा माटे मोटी आपत्ति वेठी? हा ! आर्यपुत्र ! अत्यारे तारा विरहमां मारा जीवन नथी." हिन्दी अनुवाद :- "हा ! प्रियतम ! मेरे लिए तुमने क्यों बड़ी विपत्ति ली। हा ! आर्यपुत्र ! अब आपके विरह में मेरा जीवन नहीं है।" गाहा : तदणंतरं च केणवि हक्किय अइनिठुरं समुल्लवियं । कत्तो मह वसगाए साहारो तुम एएण ? ॥२३१॥ छाया : तदनंतरं च केनापि आकार्य अतिनिष्ठुरं समुल्लपितं । कुतः मह्यम् वश्यायाः साधारः तव अनेन ? ||२३१।। अर्थ :- त्यार पछी कोईना वड़े अति निष्ठुर पणे कठेवायु, इवे जो तुं मारे वश छे तो तने एनो शुं आधार ? । हिन्दी अनुवाद :- उसके बाद किसी के द्वारा निष्ठुरता से कहा गया, अब, यदि तुम मेरे वश हो तो तुम्हें उसका क्या आधार ? गाहा : तं सोऊणं मन मणम्मि कोहलं समपन्न । जाव य दोण्णि व तिण्णि व वच्चामि पयाई ता निसुओ ॥२३२॥ 49 Jain Education International nal For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162